Published On May 31, 2024
lyrics
ल्यादे ल्यादे रे अंजनी माता का लाल लक्ष्मण खातर संजीवन जड़ि।।
1. द्रोनागिरी पर वेद बताई संजीवन की बेल, औरा की तो ताक़त कोनी थार होसि खेल,
भाई लक्ष्मण का बिगड्या देखो हाल ,सर पर म्हार संकट की घड़ी।।
2. पहली वन म नारी खोदी अब खोदिनु भ्रात, मेरी अक़ल काम ना करती दिन स होगई रात,
जैसे हिरण चुक ज्याव भाल, भँवर म नैया आय पड़ी।।
3. अवधपुरी म कैसे जाऊँ थर थर कांपे गात, कहाँ छोड़ आयो भ्राता लक्ष्मण यूँ पुछगी मात,
पग क नीचे स धरती ज्याव पाताल, मैया पुछ खड़ी खड़ी।।
4.राम वचन सुन चाल्यो हनुमत प्रभु न शीश नवाकर, द्रोनागिरी पर माया रच दी लंकपती का चाकर,
बुँटी पाई ना ज़द मन म उठी झाल, पर्वत ल्यायो हाथ म दड़ी।।
5.पर्वत लेकर आयो अवध पर भरत चलायो तीर, लागत बाण पड़यो धरनी पर सहाय करो रघुवीर,
पुछण लाग्या रे भरत जी सरा हाल, नैना माही नीर की झड़ी।।
6.नाम तेरो सुन राख्यो हनुमत तू है सांचो वीर, आज तलक कोई मुख स ना बोल्यो म्हारो लाग्यो तीर,
उठज्या उठज़्या रे जल्दी स जल्दी जाग,सूरज उगन म दोय घड़ी।।
7.संजीवन ले आया पवनसूत लक्ष्मण चेत करयो, मोहन कहे राम हुया राज़ी सारो काज सरयो,
ज्या पर बजरंग की हो ज्याव प्रतिपाल,दुविधा बाँकी दूर खड़ी।।
।। समाप्त।।