Published On Sep 29, 2024
नवरात्रि में कलश स्थापना कैसे करें संपूर्ण विधि 2024 coming soon
नवरात्रि कलश स्थापना एक शुभ और पवित्र कार्य है, जो नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है। इस प्रक्रिया में देवी दुर्गा की पूजा का आरंभ किया जाता है और नौ दिनों तक चलने वाले व्रत और उत्सव की शुरुआत होती है। गोविंद अर्निंग जॉन यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है मेरे चैनल को लाइक एंड सब्सक्राइब करें
कलश स्थापना की प्रक्रिया:
1. साफ-सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई की जाती है। पूजा स्थल को गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध किया जाता है।
2. मिट्टी की वेदी: एक साफ मिट्टी का स्थान चुनकर, वहां पर हल्दी और कुमकुम से शुभ संकेत बनाए जाते हैं। मिट्टी के स्थान पर जौ बोए जाते हैं, जो समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक होते हैं।
3. कलश तैयार करना: एक तांबे या मिट्टी का कलश लिया जाता है, जिसमें जल भरा जाता है। इसमें साबुत चावल, सिक्के, सुपारी, हल्दी, दूब घास और पान के पत्ते डाले जाते हैं।
4. नारियल और आम के पत्ते: कलश के ऊपर आम के पत्ते रखे जाते हैं, और फिर उसके ऊपर लाल कपड़े में लिपटा हुआ नारियल रखा जाता है। नारियल को कलश पर रखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुंह पूजा स्थल की ओर हो।
5. मंत्रोच्चारण: कलश स्थापना करते समय देवी दुर्गा का आवाहन मंत्र पढ़ा जाता है। इससे देवी का आह्वान कर कलश में उनकी उपस्थिति मानी जाती है।
6. दीप जलाना: कलश स्थापना के बाद दीप प्रज्वलित किया जाता है और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। नौ दिनों तक लगातार दीप जलाने की परंपरा है।
यह प्रक्रिया न केवल धार्मिक होती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का भी साधन होती है। कलश को सकारात्मकता, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और इसके माध्यम से देवी की कृपा प्राप्त होती है।