Published On Sep 27, 2024
सभी दार्शनिक, संत, फ़क़ीर हर किसी को कहते सुना है जीवन असार है... वास्तव में प्रतीत तो यही होता है, क्योंकि जो भी जन्मता है उसका अन्त निश्चित है... मिट्टी के तन का मिट्टी में मिलना निश्चित है... उसी प्रकार जैसे दीवार पर कोई चित्र टंगा हो और उसके पुराना होकर धूमिल पड़ जाने पर फ्रेम में से उस चित्र को निकाल कर नवीन चित्र जड़कर टांग दिया जाता है... कुछ इसी प्रकार के उलझे सुलझे से भावों के साथ प्रस्तुत है हमारी आज की रचना... चित्रों की अदला बदली... कात्यायनी...
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