कानपुर में माँ बगला “पीतांबरा देवी” जहां माँ दिन मे तीन बार अपना रूप बदलती हैं !
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 Published On Jan 1, 2022

कानपुर -बिठूर : दतिया का "पीतांबरा पीठ" जहां पर माँ अपने स्वरूप को दिन मे 3 बार बदलती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं । माँ पीतांबरा के इसी स्वरूप के दर्शन और उनके आशीर्वाद को उनके भक्त अब उत्तरप्रदेश के कानपुर में भी पा सकेंगे । कानपुर मे बिठूर में माँ बगलामुखी पीतांबरा देवी की स्थापना / प्राण प्रतिष्ठा फाल्गुन माह , रेवती नक्षत्र त्रतीया तिथि दिनांक 09 मार्च 2019 को मुख्य आचार्य माँ पीतांबरा पीठ दतिया पंडित ओम नारायण शास्त्री व उप आचार्य याज्ञवलक्य शास्त्री जी द्वारा की गयी ।माँ बगलामुखी दस महाविधा में अष्टम महाविधा हैं। कलयुग मे नियमपूर्वक तनिष्ठ होकर माई की पूजा, पाठ तथा मंत्रानुष्ठान करने वाला साधक कल्प वट के समान सिंह बन जाता है । सिद्ध साधक के चारो तरफ माई सुरक्षा चक्र के रूप में स्थित हो जाती हैं ।कानपुर बिठूर मे माँ पीतांबरा पीठ के आचार्य पंडित सौरभ जी ने अंशिका मीडिया टीम को बताया कि माँ बगला "पीतांबरा देवी" दिन मे तीन बार अपना रूप बदलती हैं, माँ बगलामुखी पीतांबरा देवी राजनैतिक देवी भी हैं । जो राजनेता सत्ता प्राप्ति की इच्छा रखता है वो माँ की शरण में आता है और माँ की कृपा से बड़े बड़े राजनेताओं को राजसत्ता की प्राप्ति हुई है ।आचार्य सौरभ जी ने बताया की माँ की उपासना तो हर दिन की जा सकती हैं पर शनिवार को माँ की आराधना और दर्शन एवं ध्यान भजन से माँ की विशेष कृपा होती हैं । ऐसी मान्यता है की जो भक्त माँ के दर्शन लगातार 7 शनिवार करता हैं और माँ से अपनी इच्छा फल की प्राप्ति की प्रार्थना करता हैं तो माँ अपने भक्तों पर कृपा अवश्य करती हैं । माँ की आराधना अत्यंत गोपनीय एवं दुर्लभ होती हैं । माँ की साधना कठिन व गोपनीय विधि से की जाती हैं । माई की साधना गुरु - शिष्य परंपरा के अंतर्गत करने से साधक को लाभ होता है । माँ की कृपा से साधक को राज सत्ता, राज योग, धन, पद ,सम्मान, यश, वैभव , लाभ की प्राप्ति होती हैं । जब भी साधक कुमार्गी होता हैं तो माई के दंड का भी अधिकारी होता है ।कानपुर बिठूर में माँ के दर्शन एवं कृपा प्राप्ति के लिए कानपुर एवं कानपुर के आस पास के जिलों से भक्त माँ के दरबार मे आते हैं ।

माँ के दरबार मे आरती का समय:

चैत्र नवरात्र (मार्च) से शारदीय नवरात्र (अक्टूबर) तक 

प्रथम आरती :       प्रात: 7 बजे

द्वितीय आरती :     प्रात: 9 बजे

सायंकाल आरती:  रात्रि 7 बजे

महाआरती :         रात्रि 9 बजे

शारदीय नवरात्र (अक्टूबर) से चैत्र नवरात्र (मार्च) तक 

प्रथम आरती :       प्रात: 7 बजे

द्वितीय आरती :     प्रात: 9 बजे

सायंकाल आरती:  रात्रि 7 बजे

महाआरती :         रात्रि 08:30 बजे

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