Chal Mere Dil Lehra Ke Chal-Karaoke
Ravindra Kamble Ravindra Kamble
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 Published On Sep 30, 2022

50s और 60s के दशक में सैकड़ो हिंदी फ़िल्में बनीं. कई Classics, ज़्यादातर कलात्मक- बहुत अच्छी और बाक़ी अच्छी, औसत. पर हां, 99.99 प्रतिशत फ़िल्में साफ़ सुथरी, घरेलु और परिवार के साथ देखने लायक. सभी फ़िल्में अभिनय, गीत संगीत के मामले में एक दूसरे से आगे. 1964 में आई निर्माता निर्देशक K अमरनाथ की “इशारा” इसी तरह की एक फिल्म थी. सांचे में ढली घरेलु कहानी, जॉय मुख़र्जी वैजंतीमाला जैसे प्रसिद्ध सितारों की जोड़ी और गीत संगीत में अव्वल.
मुकेश जी ज़्यादातर उनके संजीदा गानों के लिए पहचाने जाते हैं या “जेब ख़ाली मगर दिल के बादशाह” की भावना वाले गीतों के लिए. तेज टप्पे वाली उड़ती धुनों पे रोमांटिक गीत उन्होंने कम ही गाए हैं. प्रस्तुत गीत “चल मेरे दिल, लहरा के चल...” एक ऐसा ही तेज़ tempo वाला गीत है. गीत मुकेश जी के बेहतरीन गीतों में से एक है. गीत को लेकर कोई वाकया तो कहीं पढ़ा नहीं. परदे पे साकार किया है जॉय मुख़र्जी ने. दो तीन हफ़्ते पहले टीव्ही में “कर्त्तव्य पथ पर Vista की रंगीन चकाचौंध” को देखा तो पसीने छूट गए. 60s के दशक में दिल्ली कितनी शांत हुआ करती थी और आम लोग (जॉय मुख़र्जी) राजपथ जैसे रास्तों पर मस्ती में साइकिल चला सकते थे ये देख कर आँखों को एक ठंडक सी पहुँचती है. और इस शान्ति भरे माहौल में मुकेश जी की बहुत ही मधुर आवाज़ एक ठंडी पुरवाई की तरह महसूस होती है.
इस के गीतकार हैं मजरुह सुल्तानपुरी साहब और इस मस्त मेलोडी के संगीतकार हैं कल्याणजी-आनंदजी.
इस ट्रैक में तीनों अंतरे शामिल हैं, जो शायद बहुत कम ट्रैक्स में उपलब्ध हैं.

ये ट्रैक ख़ास मुकेश जी के Fans के लिए.

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