Published On Jan 5, 2024
उत्कटकोण आसन गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान करना सुरक्षित माना गया है।
अपने शरीर के संकेतों को पहचानें। खुद पर दबाव न डालें। यदि किसी भी मुद्रा में आपको असहजता या दर्द महसूस हो, तो उसे बंद कर दें।
गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन संबंधी बदलावों और गर्भ के बढ़े वजन से आपकी श्रोणि की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। इसलिए आसन के दौरान खड़ी मुद्रा में आते हुए या इससे दूसरी मुद्रा में जाते हुए, हमेशा अपनी श्रोणी मांसपेशियों को तानें। ऐसा करने से आपकी श्रोणि मंज़िल को सहारा मिलेगा।
ध्यान रखें कि जब आप नीचे की ओर जाएं, तो अपनी पीठ को न मोड़ें। रीढ़ की हड्डी का निचला हिस्सा हमेशा अंदर की ओर रखें।
पेट बढ़ने के साथ-साथ आपके गुरुत्वाकर्षण के केंद्र में भी परिवर्तन आता है। अगर खड़ी मुद्राओं में संतुलन बनाने में समस्या हो रही हो, तो आप दीवार के सहारे खड़ी होकर यह आसन कर सकती हैं। आपको अपने पास एक कुसी भी रखनी चाहिए। अगर आपका संतुलन बिगड़े, तो आप इसका सहारा ले सकती हैं, ताकि गिरने से बच सकें।
माना जाता है की यह आसन करने से:
-कूल्हों और सीने को खुलने में मदद मिलती है
-टांगों को मजबूत और पुष्ट बनने में सहायता मिलती है
-दिल, फेफड़ों और गुर्दों को फायदा पहुंचाने के लिए जाना जाता है
-श्रोणि क्षेत्र को मजबूत होने में मदद मिलती है
-शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है