VC25 27 शमादि षट्कसंपत्ति का छठा अंग - समाधान। ब्रह्ममें एकरूपता और चित्तका लालनपालन नहीं।
Koham Koham
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 Published On Sep 26, 2024

#koham3469

सर्वदा स्थापनं बुद्धेः शुद्धे ब्रह्मणि सर्वथा।
तत्समाधानमित्युक्ते न तु चित्तस्य लालनम्‌॥ २७॥

अपनी बुद्धिको सब प्रकार शुद्ध ब्रह्ममें ही सदा स्थिर रखना इसीको 'समाधान' कहा है। चित्तकी इच्छापूर्तिका नाम समाधान नहीं है।

साधन चतुष्ट्य के तीसरे चरण शमादि षट्कसंपत्तिका छठे अंग समाधान के बारे में अध्ययन।
अध्यात्म के अध्ययन करते समय multitasking काम नहीं आता। उसमें चित्त की एकाग्रता जरूरी है।

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