Published On Sep 27, 2024
#koham3469
मनमें से भौतिक चीझों की कामना लुप्त हो जाती है, तो मन एक ही जगह, आत्मतत्त्व में स्थीर हो जाता है। यह परिपूर्णता का एहसास है। ऐसे परितृप्त मनमें कोई भौतिक पदार्थ की लालसा नहीं रहती। यही मुक्ति की स्थिति है।
जय श्रीकृष्ण।🙏
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