विशेष साक्षात्कार(पूर्व परशुराम अभिनेता डॉ.राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी)भाग-1.Please Like, Share, subs🔔
Dr. Deep Kumar Shukla (Journalist) Dr. Deep Kumar Shukla (Journalist)
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 Published On Feb 6, 2023

डॉ.राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी कानपुर शैली की रामलीला के ख्यातिप्राप्त परशुराम अभिनेता थे| वह न केवल रामचरितमानस बल्कि वेद, वेदांग, वेदान्त, पुराण तथा गीता आदि के भी अध्येयता थे| हिन्दी तथा संस्कृत की व्याकरण पर भी आपकी बहुत अच्छी पकड़ थी| अवधी लोकनाट्य पर पी.एचडी. करने वाले डॉ.राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी अभिनय के चारों अंगो यथा आंगिक, वाचिक, आहार्य तथा सात्विक को मंच पर पूरी तरह जीते थे| यही कारण था कि वह एक बार जहाँ जाते वहां अपनी विशिष्ट छाप छोड़ कर आते थे और बार-बार बुलाये जाते| यह सब उन्होंने अपने गुरु ख्यातिप्राप्त परशुराम अभिनेता यशशेष आचार्य पं.गोरेलाल त्रिपाठी से सीखा था| डाक्टर साहब की प्रकृति प्रदत्त बड़ी-बड़ी आँखें “भृकुटी कुटिल नयन रिस राते| सहजहुँ चितवत मनहुं रिसाते|” को मंच पर सहज ही चरितार्थ कर देती थीं| मूल रूप से ग्राम पड़री लालपुर के निवासी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने 11 फरवरी 1968 को सर्वप्रथम परशुराम का अभिनय किया था| तब से प्रारम्भ हुई आपकी परशुरामी की यात्रा अगले 45 वर्षों तक निर्वाध रूप से चली| उसके बाद आपने बढ़ती आयु तथा गिरते स्वास्थ्य के चलते कार्यक्रम लेना लगभग बन्द जैसा कर दिया था| परन्तु आयोजकों के विशेष आग्रह पर यदा-कदा चले जाते थे| 28 सितम्बर 2015 को कला मण्डली गाँधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा नई दिल्ली द्वारा श्रीराम सेण्टर मण्डी हाउस नई दिल्ली में आयोजित “वचन वाचन उत्सव 2015” में दीपांजलि समाजोत्थान समिति कानपुर द्वारा प्रस्तुत “लक्ष्मण-परशुराम संवाद” में डॉ.त्रिपाठी ने परशुराम का अति प्रशंसनीय अभिनय किया था| यह सम्भवता उनके जीवन का अन्तिम अभिनय था| इस कार्यक्रम में लक्ष्मण का अभिनय प्रस्तुत करने का सौभाग्य मुझे ही प्राप्त हुआ| इसके पूर्व भी मुझे अनगिनत मंचों पर डाक्टर साहब के साथ लक्ष्मण का अभिनय प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ और हर बार का अनुभव अति आनन्ददायक तथा अविस्मर्णीय रहा| उसमें भी वर्ष 2007 में परौली ग्राम का लक्ष्मण परशुराम संवाद तो कभी न भूलने वाला सिद्ध हुआ| जब रात 10 बजे प्रारम्भ हुआ संवाद सुबह सात बजे के बाद समाप्त हुआ था| त्रिपाठी जी मूल निवासी तो ग्राम पड़री लालपुर के थे| परन्तु आपका जन्म एवं शिक्षा-दीक्षा कानपुर में सम्पन्न हुई थी| आपके पिता आचार्य प्रवर पं.मन्नालाल त्रिपाठी ज्योतिष, कर्मकाण्ड एवं संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे| अतः यह ज्ञान आपको विरासत में मिला था| आपकी माता का नाम श्रीमती गोपाली त्रिपाठी था| अपने समय के बहुचर्चित परशुराम अभिनेता आचार्य पं.गोरेलाल त्रिपाठी भारतीय विद्यालय में शिक्षक थे और राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी उनके छात्र थे| बाद में आपने आचार्य जी को परशुरामी का भी गुरु बना लिया| अभिनय के साथ-साथ आपको आचार्य जी से योग और वेदान्त का ज्ञान भी प्राप्त हुआ| वर्ष 1968 में ही डॉ.राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी बी.एन.एस.डी. इण्टर कालेज में शिक्षक हो गये और वहीँ से प्रधानाचार्य के रूप में सेवानिवृत हुए| अगस्त 2018 में आपने इस संसार को सदा-सदा के लिए अलविदा कह दिया| प्रस्तुत है डॉ. राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी से उनकी अभिनय यात्रा तथा रामलीला के विभिन्न सन्दर्भों पर 25 फरवरी 2016 को हुई विस्तृत बातचीत:
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डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र पत्रकार एवं लक्ष्मण अभिनेता)

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