‘इक ओंकार सतनाम’ का अर्थ || आचार्य प्रशांत, जपजी साहब पर (2013)
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 Published On Sep 30, 2018

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वीडियो जानकारी: अद्वैत बोध शिविर, 30.1.13, नॉएडा, भारत

प्रसंग:
~ "सतनाम" शब्द का क्या अर्थ है?
~ ‘इक ओंकार सतनाम’ का क्या अर्थ है?
~ सत्य क्या है?
~ सत्य को कैसे जाने?

संगीत: मिलिंद दाते
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गुरु नानक देव के मूल मंत्र

इक ओंकार सतिनाम, करता पुरख निरभउ निरवैरु, अकाल मूरत अजूनी सैभं, गुर प्रसाद।।

जप आदि सच जुगादि सच,
है भी सच, नानक होसी भी सच।।

सोचै सोचि न होवई, जे सोची लख वार।।
चुपै चुप न होवई, जे लाइ रहा लिवतार।।

भुखिआ भुख न उतरी, जे बंना पुरीआ भार।।
सहस सियाणपा लख होहि, त इक न चलै नाल।।

किव सचिआरा होइऐ, किव कूड़ै तुटै पालि।।
हुकमि रजाई चलणा, नानक लिखिआ नाल।।

~ जपजी साहब

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