(IPM Media) सरहदे इंसानों को तो रोक सकती है, पंछी, नदिया,पवन को नहीं
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 Published On Sep 25, 2024

सीमाएं इंसानों के द्वारा इंसानों के लिए बनाई गई है, यह ऐसी दीवार हैं जो न केवल इंसानों को इसानों से अलग करती हैं, बल्कि एक दूसर के प्रति नफरत और दुश्मनी भी पैदा करती है, इन्हीं सीमाओं ने इस धरती को टुकड़ों-टुकड़ों में बांट डाला फिर उन्हें भूखंडों पर बसने वाले लोगों ने अपनी परंपराए, अपनी – अपनी भाषाये और अपना कानून बना लिया और एक सरहद से दूसरी सरहद प्रवेश करने के लिए प्रतिबंध लगा दिया यह सारे नियम और कानून केवल इंसानों के लिए है
पंछी नदिया पवन के झोंके
कोई सरहद ना इन्हें रोके
सरहदे इंसानों के लिए है
सोचो तुमने और मेने क्या पाया इंसान होके
जब हम प्रकृति के नियमों पर गहन विचार करते हैं तो हमारे सामने यही तथ्य आता है की भौगोलिक स्थिति के अनुसार इंसानों की बनावट बेशक भिन्न हो सकती है लेकिन उनकी आवश्यकताये एक ही तरह कि होती हैं
प्रकृति ने ही इंसान को एक सुंदर धरती दी, पीने के लिए मीठा और निर्मल जल दिया, खाने के लिए तमाम तरह के फल और वनस्पतियां, सांसों के लिए वायु और खुला नीला आकाश, ताकि जीवन नीरस ना हो. और इंसानों को हर प्रकार की व्यवस्था दी ताकि वह एक बेहतर जीवन जी सके
इंसान एक विवेक पूर्ण प्राणी माना गया है लेकिन यदि संपूर्ण दुनिया में तबाही का कारण देखा जाए तो इंसान की वह बौद्धिक क्षमता ही, तो है जो दुर्भावना से ग्रसित होकर इंसान के बीच अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए तमाम प्रकार के हथकंडों को अपनाता आ रहा है ओर आज भी बदस्तूर जारी है.
अतीत में व्यक्ति कबीलों में रह कर काबीलाइयों के बीच में आपने को श्रेष्ट साबित करने के लिए युद्ध करते थे. इस तरह आज भी विश्व में अनेक देश हैं जो सिर्फ वर्चस्व की लड़ाई के लिए घोर तबाही मचा रहे हैं ताकि वे सर्वश्रेष्ठ बने रहे इंसान केवल सरहदों को बाँट कर भी, शांत नहीं रहा बल्कि धीरे-धीरे जिसकी सरहद में, सीमा मैं, धर्म वंश, क्षेत्र समुदाय, जाति और वर्ग के नाम पर समाज को बांट डाला, इतना होने पर भी, वह स्थिर नहीं रहा और एक राजनीतिक आकांक्षा पेदा कि और इसके अंतर्गत लोगों में जागरूकता पैदा करी कि हम ही सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए
फिर सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए साम, दाम, दंड, भेद की नीतियां शुरू कर दी किसी ने धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह किया, और किसी ने जातिय एकता के नाम पर, नियत्रण रखने का प्रयास किया.विश्व के अनेक देश आज भी रंगभेद और नस्ल भेद के शिकार हैं प्रियजनों विश्व में एक बड़ी समस्या अमीरी गरीबी की भी हैं यह समस्या कोई समस्या नहीं परंतु जटिल समस्या इसलिए है क्योंकि यह केवल राजनीतिक प्रेरित है क्योकि सत्ता के सौदागरो का ये मुद्दा और प्लेटफार्म को लेकर अपनी राजनीतिक दुकान चलाते हैं और आम जनता को धर्म और जातियों में बांट देते हैं
कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति अभाव अवस्था में अपने नैतिक सिद्धांतों को इसलिये बरकरार नहीं रख सकता और किसी भी स्तर पर आकर समझौता करने के लिए विवश हो जाता है आज हर देश का सर्वजन, इसी लड़ाई में अपने को शामिल किए हुए हैं इसी के कारण उस देश के लोग,बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं लेकिन इसके विपरित उन चीजो की व्यवस्था की जा रही है जहां उनकी आवश्यकता नहीं है जैसे पेय जल की भारी किल्लत हो और वहाँ फवारे लगाये जा रहे हो, गरीब भूखे मरे रहे हैं और गोदामो में अनाज सड़ रहा है गाँव में बिजली पेयजल शौचालय विद्यालय रोजगार और उद्दयोग भले ना हो लेकिन चांद पर जाने की पूरी तेय्यारी हो, और नवीनतम, भयानक, घातक और हाईटेक वेपन बनाने में लगे हुए हैं, महिला की शक्ति करण का नारा तो दे रहे हैं लेकिन सरे आम हो रहे उनके शीलहरण को हम रोक नहीं पा रहे, लेकन, सरकारे आतंकवाद, लूट खसोट, भ्रष्टाचार, अत्याचार आदि को रोक पाने में असमर्थ है.
इन्ही बटवारों ने आदमी का जीवन और कठिन बना दिया हर व्यक्ति एक अनजान की तरह भय और असुरक्षा के साए में जी रहा है उसे इस बात का भी पता नहीं के आने वाला पल कौन सी मुसीबत लेकर आएगा
धरती पर सब कुछ इंसानों की बनाई हुई व्यवस्थाये हैं वह चाहे धर्म का नाम हो, या जातियो, देश का नाम, या भगवान का नाम,सब इंसानों ने ही रखे हैं.मंदिर कैसे होने चाहिए,मस्जिद कैसी होनी चाहिए, गुरुद्वारा कैसा होना चाहिए, चर्च कैसा होना चाहिए, यह भी इंसानोंने ही तय किया है कौन से धर्म का व्यक्ति कौन सा नियम अपना आएगा, पहनावा कैसा होगा, टोपी कैसी लगाएगा,
पैदा होने से लेकर मरने तक उसके जीवन की प्रक्रिया क्या होगी यह भी इंसानों ने ही बनाया हेये इंसान ही हैजो आराध्य को पत्थरों के बने मकानों में ढूंढ रहे हैं लेकिन अपने हृदय में बैठे भगवान को कभी देखने का प्रयास नहीं कर रहेमस्जिद बनवाने के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार हैंलेकिनइंसान बनने के लिए एक थोड़ा सा झुकने के लिए भी तैयार नहीं है लोग भगवान को पाने के लिए धार्मिक पुस्तकों मेंदेख रहे हैंपरंतु स्वयं प्रदूषित होते जा रहे हैं
इंसानों ने इस धरती पर सब कुछ बांट तो दिया परंतु दुखद बात यह है कि वह अपनी आत्मा अपने विवेक अपने नैतिकता अपने कर्तव्य और मासिकता को भी विभाजित कर दिया और यही विभाजन ही इंसान की विभक्ति और त्रासिदयो की मूल कारण है
अंत में इंडियन व इंटरनेशनल पीस मिशन सभी देशों के शिखरनेताऔ से,सयुक्त राष्ट्र संगठन के सभी सदस्यसे, अनुरोध करती हैकी विश्व में एकरूपता, समानता शिष्टाचारिता और शांति के लिएनैतिक भौतिकवाद केउदेश्य और लक्ष्यो का अध्ययन कर दृष्टिकोण को निर्धारित करे
ताकि सीमा सीमाऐं ना रहे,और मानवता विभाजित ना हो पाये,
अयं; निज परो वेति गणना लघुचेतसाम्
उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम्
सर्वम् सर्वाय सर्वस्य सर्वे शान्ति भवतु
वन्देमातरम वन्देमातरम

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