Published On Oct 11, 2024
सभी भारतीयों को,
IPM मीडिया के सभी सदस्यों की और से नवरात्रों, दुर्गापूजा और विजय दशमी की हार्दिक बधाई और शुभ कामनाए
प्रियजनों
समय के प्रवाह से त्रेता, द्वापर, तथा न जाने कितने महीने और वर्ष बीत गये, परंतु रावण पर राम की विजय गाथा आज भी हमारे भारतीय समाज में पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनायी जाती है.
सदियों पूर्व राम ने सत्य और शक्ति के बल पर रावण रूपी असत्य और बुराई का अंत किया था. तब से यह ऐतिहासिक कालजयी घटना हमारी आत्मा व संस्कृत में रच और बस गई है.
प्रिय मित्रो
विजयदशमी का पर्वं, विजय का उल्लास लिए, प्रतिवर्ष हमारे जीवन प्रांगण में दस्तक देकर हमें एक शाश्वत संदेश का ज्ञान भी करा जाता है. सरद ऋतु के शुक्ल पक्ष की दशमी को, सुरमयी संध्या के अरुणिम उजाले में, जन सैलाब उमड़ पड़ता है और मेघनाथ, कुंभकर्ण, एवं रावण के पुतलों का दहन कर, बुराई पर विजय का घोष करते हैं,
गली मोहल्ले में अलग-अलग स्थान पर हर कोई इस पर्व के प्रतिभागी बनते हैं.
इस प्रकार, विजयदशमी की एक और संध्या हर वर्ष की तरह विदा हो जाती है.
पर्व का संदेश तथा उमंग,हर वर्ष की तरह ये दिन, भी बीती बात,हो जाती है. इस महान घटना में निहित संदेश भुला दिए जाते हैं. और हम भूल भी जाते हैं ,
साथियो
इस रामकथा को मात्र रोमांचक कहानी न मानकर, इसको वर्तमान जीवन, संदर्भों से जोड़कर इस घटना का विश्लेषण करें तो इस महान सत्य की अमूल्य नीधि हमारा आंतरिक सिंबल बनकर हमें आगे - बढ़ने की प्रेरणा देता है. हमारे संपूर्ण जीवन त्रेता युग का दर्पण ही तो है, की राम सत्य है तो रावण असत्य, और सीता, आदि शक्ति.
प्रिय आराध्को
जीवन रूपी आकाश पर जब पाप, अनाचार, ईर्ष्या, द्वेष, काम-वासना, क्रोध, मद और लोभ आदि बुराइयों के बादल छा जाते हैं, तब हमारी आत्मा में समाया सत्य मलिन होकर अपनी वास्तविकता भूल जाता है और यही से जीवन में बिखराव प्रारंभ हो जाता है.
आज चारों ओर असत्य और बुराइयां पांव पसारती जा रही हैं, जिसने जीवन की सभी क्षमताओं पर कुठाराघात किया है. ऐसे में आवश्यक है, उसे परास्त करने के लिए सत्य और शक्ति को पुन: जागृत करे.
राम ने नवरात्रि में निरंतर शक्ति की आराधना की, तब जाकर दसवें दिन रावण का संहार कर सके.
अपने संरक्षण के बाद भी शिव रावण को नहीं बचा पाए. शिव से तात्पर्य है कल्याण. जब कल्याण असत्य के पक्ष में चला जाएगा, तब सत्य और शक्ति के सामने उसे मौन धारण करना ही पड़ता है.
और जीवन में असत्य एवं बुराइयों के नाश हेतु सत्य के लिए शक्ति की आराधना करनी होती है.
प्रियजनो
आज दुर्भाग्य यह है कि हम, तीज- त्योहारों के निहित संदेशों को, उनके शाश्वत सत्य को, हम मात्र ऐश्वर्य, क्षणिक आनंद, और शानो शोकत समझ कर वयस्थ हो जाते हैऔर परिवर्तित होते संदर्भों में उसकी पारंपरिक वास्तविकता से मुकरते हुए आधुनिकता, के दिखावेपन और भौतिकता के सुख - भोग तक ही ग्रहण करते जा रहे हैं.
प्रियबंधुओ
प्रश्न उठता है विजयदशमी के वास्तविक संदेश को कितने लोग आत्मसात कर रहे हैं?
सामाजिक जीवन में हम राम - रावण आचरण के साथ कितना न्याय कर पा रहे हैं? क्या बुराई और असत्य की बढ़ती सीमाओं को सत्य रोक पाएगा ? अचानक से मुकाबला करने का हौसला क्या हमारे भीतर शेष है? असत्य का विरोध करने वालों के साथ क्या हम मौन खड़े हैं? इन ज्वलंत प्रश्नों के उत्तर हमें अपने अंत: करण में तलाशने होंगे.
विजयदशमी का पर्व मानकर जिस बाहरी संपन्नता का परिचय हम देते आ रहे हैं, उसकी पड़ताल करने का अवसर, यह पर्व एक बार पुन: हमें याद दिला रहा है.
आइए मिशन की आनिवे्शिक विचारधारा नैतिक भौतिकवाद के मध्यम से हम सभी अच्छाई और सत्य के माथे पर विजय का तिलक लगाकर इस विजय पर्व को सार्थक और सघन बनाएं.
इंडियन पीस मिशन व इंटरनेशनल पीस मिशन का मानना है कि विश्व में आंतरिक सामाजिक भौतिक और आध्यात्मिक व चिंता रहित जीवन के लिए शांति का वातावरण और हम सब एक हो कर सौहार्द, बंधु तत्व, वासुदेव कुटुंब कुटुंबकम का लक्ष्य प्राप्त करें यही समय की सच्ची पुकार और विजयदशमी का संदेश है
सर्वम् सर्वाय सर्वस्य सर्वे शान्ति भवतु
जय भारत बन्देमतरं