पुरुष की स्थिरता और प्रकृति की चंचलता || आचार्य प्रशांत, संत रहीम पर (2018)
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 Published On Jun 1, 2018

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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 14.5.18, कैंचीधाम, नैनीताल, भारत

प्रसंग:
~ कैसे निबहै निबल जन, करि सबलन सों गैर ।
~ जैसे बस सागर विषै, करत मगर सों बैर || इस दोहे का क्या भावार्थ है?
~ सच्चाई पर कैसे चलें?
~ पुरुष की स्थिरता और प्रकृति की चंचलता क्यों?
~ अपना निर्बलता कैसे त्यागे?

संगीत: मिलिंद दाते
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