Harsh Parvat Sikar || औरंगजेब के आक्रमण से कैसे बचा हर्षनाथ भेरव मंदिर || हर्ष पर्वत सीकर (राजस्थान)
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 Published On May 6, 2023

Harsh Parvat Sikar || औरंगजेब के आक्रमण से कैसे बचा हर्षनाथ भेरव मंदिर || हर्ष पर्वत सीकर-राजस्थान

नमस्कार दोस्तों .....

शेखावाटी के हृदय स्थल सीकर नगर से 17 किमी दूर दक्षिण में स्थित हर्ष पर्वत ( Harsh Parvat Sikar ) ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक व पुरातात्विक दृष्टि से प्रसिद्ध, सुरम्य एवं रमणीक प्राकृतिक स्थल है।

हर्ष पर्वत सीकर की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3100 फीट है जो राजस्थान के सर्वोच्च स्थान माउंट आबू के बाद सबसे ऊंचा पर्वत माना जाता है।

इस पर्वत का नाम हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा। इस प्रकार इस पहाड़ को हर्ष पर्वत एवं भगवान शंकर को हर्षनाथ कहा जाने लगा। एक पौराणिक दन्त कथा के अनुसार हर्ष को जीणमाता का भाई माना गया है।

हर्ष पर्वत पर तीन प्रकार के मंदिर है -
1.पुन्च्मुखी महादेव मंदिर ( निर्माण-चाहमन शासक विग्रराज प्रथम के शासनकाल मे बना )

पुन्च्मुखी महादेव मंदिर के अवशेषों से मिला एक शिलालेख बताता है कि यहां कुल 84 प्रकार शिव मंदिर थे। मंदिर परिसर में शिव वाहन नंदी की विशाल संगमरमरी प्रतिमा भी आकर्षक है। यहां स्थित सभी मंदिर खंडहर अवस्था में हैं, जो पहले गौरवपूर्ण रहे होंगे। कहा जाता है कि 1679 ई. में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मंदिरों को नष्ट व ध्वस्त किया गया था।

2.महादेव मंदिर (निर्माण-राव शिव सिंह जी )

जब मुग़ल बाद्साह औरंगजेब ने मंदिरों को नष्ट व ध्वस्त किया उस के बाद सीकर दरबार के राजा राव शिव सिंह जी ने दूसरा शिव मंदिर बनवाया

3.हर्षनाथ भेरव मंदिर -

मुख्य शिव मंदिर की दक्षिण दिशा में भैरवनाथ का मंदिर है, जिसमें मां दुर्गा की सौलह भुजा वाली प्रतिमा है जिसकी प्रत्येक भुजा में विभिन्न शस्त्र हैं, एक हाथ में माला व दूसरे में पुस्तक है। इस मंदिर मर्दनी की खण्डित प्रतिमा एवं अर्धनारीश्वर रत्रधारी गणपति प्रतिमा भी है।
मंदिर के मध्य गुफा जैसा तलघर भी है जिसमें हर्ष नाथ भेरव , जीणमाता तथा भैरव की तीन प्रतिमाएं हैं।

नवरात्र और हर सोमवार व अवकाश के दिन यहां धार्मिक श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, मानो मेला लगा हो। इसके अलावा पूरे सालभर जात−जडूले वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

हर्ष पर्वत वनौषधियों का भण्डार है। यहां अरडूसा नामक पौधे प्रचुर मात्रा में खड़े हैं जिससे खांसी की दवा ग्लाइकाडिनटर्पवसाका बनती है। इसके अतिरिक्त बांस, व्रजदंती, गोखरू, लापता, शंखपुस्पी, नाहरकांटा, सफेद मूसली, आदि वनौषधियां भी यहां मिलती है।

यहां मांसाहारी जरख, भडिया, गीदड, लोमड़ी, सर्प, नेवला, बीजू आदि मिलते हैं। शाकाहारी वन्य जीवों में रोजड़ा, सेही, लंगूर, काले मुंह के बन्दर आदि यहां दिखते हैं। पक्षियों में तीतर, बटेर, मोर, कबूतर, कोयल, चिड़िया, मैना, तोता, वाईल्ड बेबलर, बगुला, बतख आदि पाये जाते हैं।

हर्ष पर्वत पर पवन चक्कियां लगाई गयी हैं जिनके सैंकड़ों फीट पंख वायु वेग से घूमते हैं तथा विद्युत का उत्पादन करते हैं। दूर से इन टावरों के पंखे घूमते बड़े लुभावने लगते हैं।
बाकि आप विडियो में सारी जानकारी देखे

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