Published On Mar 1, 2024
क्या आप जानते हैं की डेरी पशुओं में दूध उत्पादन और स्वास्थ बनाये रखने के लिए उत्तम गुणवत्ता वाले आहार और उसके सही पाचन का होना अति आवश्यक है, पिछले कुछ समय में मक्का तथा अन्य अनाजों, प्रोटीन खलों के महंगा होने के कारण पशु आहार की गुणवत्ता में भारी गिरावट देखने को मिली है जिसका असर पशुओं के स्वास्थ और उत्पादन पर पड़ा है डेरी किसानो के सामने आने वाली समस्यायें
कम दूध उत्पादन | फैट और एसएनऍफ़ में कम | अस्थिर उत्पादन | ख़राब पाचन | बीमार पशु और कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता | वज़न का गिरना | कम खाना
आधुनिक समय के अनुवांशिक रूप से उन्नत पशुधन के लिए उत्तम प्रदर्शन हेतु अच्छे पोषण का मिलना अति आवश्यक है पशु पोषण के विभिन्न घटकों का न सिर्फ सही मात्रा में होना आवश्यक है बल्कि उन घटकों का सही अनुपात में होना भी उतना ही ज़रूरी होता है इसके साथ साथ विशिष्ट रूप से सभी पोषक तत्वों का अव्शोसित होना भी महत्वपूर्ण होता है पशु पोषण में उर्जा प्रोटीन खनिज सोडियम क्लोराइड कैल्शियम फॉस्फोरस आदि घटक होते हैं जो उत्पादन को बनाये रखने में मदद करते हैं और साथ ही साथ विशेष परिस्थितियों में उत्पादन को बढ़ाते भी हैं परन्तु पशु के के पेट में पच कर अवशोषित होने की एक लम्बी प्रक्रिया होती है जो पशु के रुमेन में रहने वाले बैक्टीरिया के स्वास्थ पर निर्भर करती है
इसलिए रुमेन में रहने वाले जीवाणुओं की उपलब्धता और गुणवत्ता ही पशु के स्वास्थ और दूध उत्पादन को सीधे तौर पर निर्धारित करती है|
रुमेनिया इसी सिधांत को ध्यान में रखकर बनाया गया है जिसमे उन सब तत्वों को मिलाया गया है जो रुमेन के जीवाणुओं को जीवित और स्वस्थ रखकर पाचन क्रिया को बढ़ाते है जिससे अतिरित्क उर्जा और मेटाबोलाईज़ेबल प्रोटीन शरीर में प्रवेश करते हैं और दूध उत्पादन को बढ़ाते हैरुमेनिया के काम करने का तरीका बहुत सरल है|
जब पशुओं के उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से अधिक उर्जा और प्रोटीन वाला आहार दिया जाता है तो रुमेनिया इस अधिक उर्जा वाले आहार में रुमेन की पीएच को स्थिर रखता है और जीवाणुओं को मरने नहीं देता जिससे पाचन क्रिया निरंतर चलती रहती है इसके अलावा यह अतिरिक्त मीथेन और अमोनिया को भी अवशोषित कर लेता है जिससे फीड की उर्जा का व्यय नहीं होती पशु इस उर्जा से दो कार्यों में इस्तेमाल करता है|
पहला यह की वो उर्जा अमोनिया के साथ मिलकर जीवाणुओं की संख्या को बढ़ाने में मदद करती है जिससे अधिक मेटाबोलाईज़ेबल प्रोटीन पशु की आंतो में पहुंचकर अवशोषित होता है जिससे दूध में फैट एस.एन.एफ बढ़ता है और दूध में गाढ़ापन आता दूसरा इस उर्जा को पशु वोलेटाइल फैटी एसिड के रूप में अवशोषित करके ग्लूकोस बनाता है जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि देखने को मिलती है|
लगभग 200ग्राम अतिरिक्त मेटाबोलायईज़ेबल प्रोटीन बनाता है जिससे दूध में फैट और एस.एन.ऍफ़ की मात्रा बढती है
मीथेन के बनने को कम करता है जिससे उर्जा का व्यय कम होता है
पशु के शरीर में पोज़िटिव एनर्जी बैलेंस बनाता है जो बॉडी स्कोर यानि वज़न को बढ़ाता है और साथ ही प्रजनन क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव डालता है
माईकोटोक्सिन को बाँध लेता है
उत्पादन में होने वाले उतार चढ़ाव को कम करता है
गर्मी के मौसम में भी दूध उत्पादन बना के रखता है
हरे चारे की कमी में भी दूध उत्पादन में कम नहीं होने देता