कृष्ण चले मथुरा | Krishna Chale Mathura | Movie | Tilak
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 Published On Premiered Feb 28, 2021

Watch the Video Song "काल भैरव अष्टक " :    • काल भैरव अष्टक। Kaal Bhairav Ashtakam...  

   • बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुम...  
बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद।

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...  

Watch the film ''Krishna Chale Mathura'' now!


कंस के अत्याचारों से सभी लोग बहुत दुःखी थे उसके अंत का समय निश्चित हो चुका था और श्री हरि का श्री कृष्ण के रूप में अवतार भी कंस की बहन के गर्भ से ही लेने वाले थे। दूसरी और कंस अपनी चचेरी बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ करवा रहा था। विवाह के पश्चात कंस देवकी और वासुदेव का सारथी बन उन्हें उनके राज्य में छोड़ने के लिये निकलता है। तभी रास्ते में आकाशवाणी होती है की कंस का मृत्यु देवकी के आठवें पुत्र द्वारा ही होगी। यह सुन कंस क्रोधित होकर देवकी को ही मारने की कोशिश करता है ताकि ना देवकी रहेगी और ना ही उसका पुत्र जन्म लेगा। कंस एक एक करके देवकी के सातों पुत्रों का वध कर देता है और जब श्री कृष्ण का जन्म होता है तो रात्रि में वासुदेव श्री कृष्ण को नंदराय की पुत्री के साथ बदल आते हैं।

कंस उस कन्या को मारने लगता है तो देवी माँ प्रकट होकर उसे उसके मृत्यु करने वाले देवकी के आठवें पुत्र के बारे में बताती हैं। यशोदा नंदराय के घर में श्री कृष्ण जनम की ख़ुशियाँ मनायी जाती हैं। कंस कृष्ण को मारने के लिए अपने बहुत से राक्षसों को भेजता है लेकिन हर बार असफल रहता है। जब श्री कृष्ण बड़े हो जाते हैं और अपनी बाल लीला को करते हुए सबका मन मोह लेते हैं। कंस को स्वप्न में प्रेत दिखते हैं उसे लगता है जैसे वो मारने वाला है और उसके मारने के बाद उसे काल लेने के लिए आ गए हैं और उसका वध कर देते हैं। जिससे वो डर का रात मैं उठ जाता है। जब वह उठ जाता है तो उसे चारों ओर विष्णु देखने लगते हैं। अगले दिन कंस अपने सभी मंत्रियों और राज पुरोहित को अपनी राजसभा में बुलाया और उनसे उनके स्वप्न के बारे में बताया तो कंस के गुरु उनके लिए महेश्वर यज्ञ करने की सलाह देते हैं जिस का नाम है धनुर यज्ञ जो शिव धनुष के द्वारा ही होता है।

बाणासुर कंस को कहता है की यज्ञ में कृष्ण को भी बुलाए और उसे मारने की सलाह देता है। अक्रूर को झूठी बातें करके बुलाया जाता है ताकि उसे कृष्ण को बुलाने में सहायता कर सके। कंस अक्रूर को एक राज्य का राजा बनाने के भी पेशकश करता है। कंस अक्रूर को झूठे प्र्वलोभन देता है। अक्रूर कंस की बातों में नहीं आता। फिर कंस कृष्ण को मारने के लिए अक्रूर से उसकी सहायता माँगता है लेकिन अक्रूर उसकी इस साज़िश में साथ देने से मना कर देता है और वह से चल जाता है। कंस की चाल जब अक्रूर पर नहीं चलती है तो वह देवकी और वासुदेव के पास जाता है और उन्हें नारद जी द्वारा बताया गया कथन उन्हें बताता है। कंस वासुदेव को उसके द्वारा दिए वचन को याद दिलाता है। लेकिन वासुदेव और देवकी तब भी उसे सच नहीं बताते तो वो वासुदेव को अंधे कुएँ में ज़हरीले साँपों के साथ फेंकने के लिए ले जाते हैं। तो कंस देवकी से कहता है की यदि वह सच बोलती है तो तभी वासुदेव को छोड़ेगा। देवकी अपनी पति वासुदेव के प्राण बचाने के लिए मान लेती है की कृष्ण ही उनका पुत्र है।

कंस उन्हें कहता है की तुम्हें अब कृष्ण को मेरे पास बुलाना होगा। तो देवकी मान लेती है और अक्रूर को बुलाती हैं और कृष्ण को मथुरा लाने के आज्ञा देती हैं। अक्रूर उनकी आज्ञा का पालन करता है और कृष्ण को सही सलामत मथुरा लाने और उनकी सुरक्षा की योजना बनता है। अक्रूर नंदराय के घर कृष्ण को लेने पहुँचता है। अक्रूर के कृष्ण को मथुरा ले जाने की बात करने से पहले ही श्री कृष्ण मथुरा उत्सव को देखने के लिए खुदसे पेशकश कर देते हैं। अक्रूर नंदराय को कंस का न्योता बताते हैं की श्री कृष्ण को कंस ने मथुरा उत्सव में बुलाया है। जब नंदराय कृष्ण को मथुरा उत्सव में भेजने से मना कर देते हैं। अक्रूर उन्हें बताता है की श्री कृष्ण के माता पिता से आज्ञा लेकर ही कंस ने कृष्ण को मथुरा लाने की आज्ञा दी है। तो नंदराय कहते हैं हमने तो कोई आज्ञा नहीं दी इस पर अक्रूर नंद राय को बताते हैं की कृष्ण उनका पुत्र नहीं है। अक्रूर जब नंदराय को बताते हैं की श्री कृष्ण उनका उनका पुत्र नहीं देवकी वासुदेव का पुत्र है जिस पर नंदराय को क्रोध आ जाता है। अक्रूर जी को नंदराय जी गोकुल से चले जाने के लिए कहते हैं।

नंदराय यशोदा को ये बात बताते हैं तो दोनों बहुत दुखी होते हैं। यशोदा अक्रूर से इस बात को कहने के लिए उनसे क्रोधित होती हैं। अक्रूर उन्हें बताता है की कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र हैं और उन्हें कैसे वासुदेव ने आपकी पुत्री के साथ कैसे बदल दिया था। और आज श्री कृष्ण की माँ ने अपना पुत्र यशोदा से लौटने की भीख माँगी है। ये सब सुन यशोदा बेसुध हो जाती हैं। कंस को शिव धनुष मिल जाता है। बलराम को गुप्त तरीक़े से कही सुरक्षित स्थान में भेजने की अक्रूर रोहिनी को समझाता है और कृष्ण को दिन के उजाले में अक्रूर अपने साथ मथुरा ले जाने की बात करते हैं जिसे देवकी सुन दुखी हो जाती है। अक्रूर यशोदा को सांत्वना देता है की वो कृष्ण की उसके जीते जी कंस उसका कुछ नहीं कर पाएगा। बलराम को अक्रूर जी के साथात्रि में गोकुल से निकलने की तैयारी की जाती है। बलराम को अक्रूर जी से जब सारी बातें सुनते हैं तो वो कान्हा के साथ ही रहने की ज़िद्द पर अड़ जाते हैं। बलराम कृष्ण का साथ छोड़ने के लिए तैयार नहीं होता है। श्री कृष्ण वहाँ आ जाते हैं और सारी बातें सुन लेते हैं।

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