25 सितम्बर 24 I Accounts of Karma - Day- 3 -Dr.Samkit Muniji M.S. live
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 Published On Streamed live on Sep 24, 2024

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कर्म करते समय डरने लग जाए तो भोगने का डर खत्म हो जाएगा-समकितमुनिजी

कर्मो की सिजेरियन कर अशुभ कर्मो को उदय में आने से पहले ही क्षय कर सकते

सात दिवसीय विशेष प्रवचनमाला एकाउन्ट ऑफ कर्म का तीसरा दिन

हैदराबाद, 25 सितम्बर। कर्मो की निर्जरा तब होती है जब हम कर्मफल का स्वाद नहीं लेते है। कर्म फल से अप्रभावित रहना होगा। अभी होता यह है कि खराब कर्मो का फल मिलने पर रोने लगते ओर अच्छे कर्मो का फल मिलने पर हंसने लगते है। कर्मो के अनुरूप चलना कर्मफल चखना है। जब तक ये ट्रेण्ड चलता रहेगा कर्मो का सिलसिला चलता रहेगा। ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में बुधवार को सात दिवसीय विशेष प्रवचनमाला एकाउन्ट ऑफ कर्म का तीसरे दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कर्म का एक ही फलसफा है कि गलत कर रहे हो दण्ड दिए बिना नहीं रहूंगा ओर तुम सही हो तो कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता है। इंसान को कर्म करते समय डरना चाहिए लेकिन हमे भोगते समय डर लगता है। कर्म करते समय डरने लग जाए तो भोगने का डर ही खत्म हो जाएगा। कर्म करते समय उसके परिणाम की भी चिंता करनी चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि दूसरों को गिरते देख हमे संभल जाना चाहिए। गलती दूसरा करे ओर सबक हम ले ओर वैसी ही गलती करने से बचे तभी हम समझदार कहलाएंगे। उन्होंने कहा कि कर्म जब उदय में आएंगे तब हमारी जागरूकता रहेगी या नहीं ये पता नहीं होता। उस समय सजगता नहीं रही तो कर्म बंधन होता चला जाएगा। ऐसे हालात से बचने के लिए कर्मो की सिजेरियन करने की जरूरत है यानि उन्हें उदय होने से पहले खींच कर क्षय करना होगा। इसे बिना मतलब के परेशानी मोल लेना भी कह सकते पर जिन्होंने कर्म के बारे में जान लिया वह इसे शुरू करते है। प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी ने कहा कि तपस्या व धर्म आराधना से कर्मो की सिजेरियन होती है यानि जो अशुभ कर्म कभी उदय में आ सकते उनका क्षय होना शुरू हो जाता है। ऐसे में हम जिन दिनों को आराम से बिता सकते उन दिनों में भी त्याग तपस्या करते है। भगवान महावीर के जीवन का यहीं मिशन था। जो कर्म उदय में आ गए उन्हें तो भोगना ही पड़ेगा लेकिन जो उदय में नहीं आए ओर स्टॉक में है बाहर निकाल क्षय करना है। प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘यहीं संसार की रीत है बोया जो फल वो पाना पड़ेगा’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा.का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में नंदुरबार के प्रकाशचन्द्र कोचर, सुरेश पोखरना ने भी गीतिका की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में नमन यात्रा सेवा संघ संस्थान के चेयरमैन उधना से पधारे भगवतीलाल परमार, बारड़ोली से पधारे अशोक सिसोदिया, वेसु से महेन्द्र रांका, विजय रांका, राजेन्द्र बोलिया, चैन्नई से महेन्द्र गोलेच्छा आदि का ग्रेटर हैदराबाद संघ की ओर से स्वागत किया गया। सूरत, नंदुरबार, बेंगलौर, चैन्नई, नासिक आदि क्षेत्रों से पधारे श्रावक-श्राविका भी मौजूद थे।

सवा लाख लोगस्स की महाआराधना 2 अक्टूबर को

चातुर्मास के तहत 29 सितम्बर को व्रति श्रावक दीक्षा समारोह होगा। इसमें श्रावक-श्राविकाएं 12 व्रत में से न्यूनतम एक व्रत या इससे अधिक की दीक्षा ग्रहण करेंगे। चातुर्मास में 2 अक्टूबर को सवा लाख लोगस्स की महाआराधना होगी। आयम्बिल तप के महान आराधक पूज्य गुरूदेव भीष्म पितामह राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति 9 अक्टूबर को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इस दिन 11 हजार 111 आयम्बिल तप करने का लक्ष्य रखा गया है। आयम्बिल तप करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी किए जा रहे है। भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र की दीपावली तक चलने वाली आराधना 10 अक्टूबर से शुरू होगी।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

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