Published On Sep 22, 2022
बागासराहन ! शैरी मेला मन्नत पूरी होने पर लोगों द्वारा धन्यवाद स्वरूप देवताओं के सम्मान मे प्रतिबर्ष मनाया जाता है। इस मेले के संयोजक देवता रियासी नाग ढलैर व देवी माँ वर्मचुडी़ सराहन है। इन्हे सम्मान देने के लिए इस मेले का आयोजन किया जाता है। देवी माँ ब्रह्मचुडी़ देवता बूडा़ सरौहणी की अर्धांगिनी है, देवता सदाशिव जलांढी महादेव (बूडा सरौहणी) इसमे वतौर अतिथी शामिल होते हैं।
कहा जाता है कि किसी जमाने में सराहन क्षेत्र में एक पिशाच का आतंक हुआ करता था,जो अनेकों प्रकार से लोगों को वाज के रूप में यातनाऐं देता रहता था ,उसके पंख धारदार हथियार की तरह होते थे। जैसे ही कोई व्यक्ति बागा के मैदान में या अन्य खूले स्थानों पर दिखाई देता तो वह पिशाच उस पर हमला कर देता और उस व्यक्ति की गर्दन धड से अलग कर देता था । लोगों ने उसे मारने के अनेकों प्रयास किए, उसे वाणो से मारने की कोशिश की, जाल में फसाने की कोशिश की लेकिन उनका हर प्रयास विफल रहा।
अगर वह एक जीव होता तो लोगों के यत्न से जरूर मर जाता परन्तु वह तो मायावी राक्षस था इसीलिए लोग उसे मारने में सफल नहीं हो सके, फिर लोग देवताओं से प्रार्थना करने लगे कि वे उस पिशाच के आतंक से मुक्ति दिलाएं।
ऐसा माना जाता कि देवी वर्मचुडी़ और देवता रियासी नाग ने उस पिशाच को खत्म किया था जिसके वाद लोगों को उसके आतंक से मुक्ति मिली थी।
परम् ब्रह्म सदाशिव जलांढी महादेव (बूडा सरौहणी) बागासराहन के पुजारी लोचन सिंह ठाकुर ने कहा कि उस समय से लोगों ने दोनों देवताओं का आभार प्रकट करने के लिए उनके सम्मान में मेले का आयोजन किया। तब से यह मेला उसी परम्परा के अनुसार प्रतिवर्ष अश्विन मास दो प्रविष्ट को मनाया जाता है।
खास रिपोर्ट - पुजारी लोचन सिंह ठाकुर बागासराहन