"ये हमारे बदले की घड़ी है" | Virender Sehwag - India vs Bangladesh | Cricket World Cup 2011
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 Published On Mar 8, 2024

#cricket #revenge #story

सेहवाग - एक निडर बल्लेबाज़ जिसने ना केवल अपने करियर को पुनर जन्म दिया बल्कि एक पुरे देश को चुनौती दी वर्ल्ड कप के मंच पर - बस अपने एक ख्वाइश की आस में बदले की रहा में

२०१० की भारत श्री लंका और बांग्लादेश की Tri-series अगले साल होने वाले वर्ल्ड कप (२०११) की तयारी में
पर जहा एक तरफ भारत और श्रीलंका ठीक वर्ल्ड कप की तरह ही finals तक पोहोचने वाले थे. इस सीरीज के होस्ट - बांग्लादेश - एक भी मैच जीत नहीं पाए
पर जहा एक तरफ भारत और श्रीलंका ठीक वर्ल्ड कप की तरह ही finals तक पोहोचने वाले थे. इस सीरीज के होस्ट - बांग्लादेश - एक भी मैच जीत नहीं पाए

बांग्लादेश जो ज़िम्बाब्वे ( zimbabwe ) और वेस्ट इंडीज ( west indies ) को वाइट वाश कर चुकी थी वो अब अपने घर पर ज़लील हुई थी
जिससे उनसे आशा रखने वाले करोडो fans बोहोत ज्यादा गुस्से में थे
और ऐसे समय भारत के कप्तान वीरेन्द्र सेहवाग ने, बांग्लादेश में बैठकर उनके ही प्रेस कांफ्रेंस ( press conference ) में उनके पत्रकारों के सामने - वो हमे हरा ही नहीं सकते वो इसके काबिल ही नहीं हैं

इस एक स्टेटमेंट से चिड़ा बवाल इस कदर बढ़ता गया इस तरह भड़कता गया की इसने इन दोनों देशो में एक नै दुश्मनी एक नयी रिवालरी की दास्तान लिख दी गयी

उसपर फिर बांग्लादेश कप्तान शाकिब अल हसन का बवान की कैसे २००७ में भी यदि वर्ल्ड कप में ऐसा ही कुछ किया था - हमारी बेइज़्ज़ती की थी - जिसके बदले में हमने उन्हें घर रवाना कर दिया
जिसपर फिर पूरा मीडिया २००७ का वो भारतीय अपमान उसपर से सेहवाग का टीम से निकल दिया जाना और फिर बड़ी म्हणायत से किसी तरह टीम में वापसी करना ये सब भी बहार लाया गया

और टेस्ट में बांग्लादेश फिर एक बार भारत को ज़लील करने ही वाली थी की नसीब से सेहवाग और सचिन ने एक शानदार खेलकर किसी तरह इनिंग ( inning ) को बचाया जिसके बाद इंडियन बोव्लेर्स ने बांग्लादेश को रौंद के रख दिया
और इस बांग्लादेशी फंस के गुस्से को समझते हुए इंडियन मैनेजमेंट ( management ) ने सेहवाग को न भेजते हुए सचिन को आगे भेजना मुनासिब समझा

और फिर मनो इसी आग को बरक़रार रखने के चक्कर में वर्ल्ड कप के ऑर्गेनिसेर्स ने ( organisers ) वर्ल्ड कप की ओपनिंग मैच इन दोनों के बीचमे
भारत के ११ में से ७ खिलाडी अभी उस पुराणी टीम के थे - जिन्होंने कबूल किया था की वो वर्ल्ड कप उनके ज़िन्दगी के सबसे दर्दनाक पल था
उसपर से बोहोत से भारतीय खिलाडी इन्जुरेड थे और बांग्लदेश उस तtri सीरीज हार के बाद एक के बाद एक इंग्लैंड ( england ) और नई ज़ीलैण्ड ( new zealand )

याने बांग्लादेश उस हर का बदला लेने के लिए और इतिहास दोहराने के लिए काफी उत्सुक लग रहा था
और इसमें फिर एक बहार सेहवाग साहब के स्टेटमेंट्स एक मैच - हमारे बदले की घडी हे
तो बस पुरा सिचुएशन ( situation ) बस एक ज्वालामुखी सा बांके रहे गया था

और फिर ऐसे ज्वालामुखी में सबसे आगे आकर खड़े हुए सेहवाग खुद २५००० बांग्लादेशी फंस ( fans ) का सामना करते हुए. उनके इतिहास के पहले होस्ट किये वर्ल्ड कप मैच में
और वहा खड़े रहकर इन्जुरेड सेहवाग ने एक ऐसा प्रदर्शन दिया एक ऐसी पारी खेली जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में अमर हो गयी
फिर वो अब्दुल रज़्ज़ाक़ हो या शफीउल इस्लाम
वो मन में आए वो कहने वाले इस नफजगढ़ के नवाब ने न केवल अपने सेंचुरी पूरी की पर बांग्लादेश की वो पिटाई की की बांग्लादेश उस सदमे से उभर ही नहीं पायी
लंगडते हुए उस नवाब ने कर्रेब करीब अकेले - एक पुरे देश के सपनो को निस्तेनाबूत करके रख दिया
एक तरफ अपनी जुबां से और दूसरी तरफ अपने बल्ले से

कुल मिलकर १७५ रन्स की वो पारी जो odi क्रिकेट के इतिहास में वर्ल्ड कप में मरी गयी पचिवि हिशेस्त रन्स स्कोर बन गयी

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