Published On Premiered Jun 24, 2023
यहाँ भगवान अपने अनुज लक्ष्मण से कहते हैं कि
“हे लक्ष्मण ! वचनबद्धता के सत्य को दृष्टि में रखने वाले पूज्य पिता पर धनुष चला दूँ ?
हे लक्ष्मण । अपना विधिक स्त्रीधन मांगने वाली अपना माँ कैकेयी पर शर संधान कर दूँ ? अथवा इन समस्त दोषों से बाहर खड़े प्राणप्रिय अनुज भरत को मार दूँ ?
तुम्हारे रोष के शमन के लिए इन तीनों पातकों में कौन सा रुचिकर है ?”😢
“ताते धनुर्नमयि सत्यमवेक्षमाणे
मुञ्चानि मातरि शरं स्वधनं हरन्त्याम्।
दोषेषु बाह्यमनुजं भरतं हनानि
किं रोषणाय रुचिरं त्रिषु पातकेषु ॥”
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