जरुरतें जब हद पार कर जाती हैं तो ग़ैरत को मिटा देती है..बड़े बाबू:मुंशी प्रेमचंद!!
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 Published On Sep 19, 2024

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प्रेमचंद (अंग्रेज़ी: Munshi Premchand, जन्म: 31 जुलाई,1880 - मृत्यु: 8 अक्टूबर, 1936) भारत के उपन्यास सम्राट मानेजाते हैं जिनके युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यहकालखण्ड भारत के इतिहास में बहत महत्त्व का है। इस युग मेंभारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। प्रेमचंद कावास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे एक सफल लेखक,देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक औरसंवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वाद्ध में जब हिन्दी मेंकाम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना कामकरने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ।
जीवन परिचय
मुख्य लेख: प्रेमचंद का जीवन परिचय
प्रेमचंद का जन्म वाराणसी से लगभग चार मील दूर, लमही नाम केगाँव में 31 जुलाई, 1880 को हुआ। प्रेमचंद के पिताजी मुंशीअजायब लाल और माता आनन्दी देवी थीं। प्रेमचंद का बचपन गाँवमें बीता था। वे नटखट और खिलाड़ी बालक थे और खेतों से शाक-सब्ज़ी और पेड़ों से फल चुराने में दक्ष थे। उन्हें मिठाई का बड़ाशौक़ था और विशेष रूप से गुड़ से उन्हें बहुत प्रेम था। बचपन मेंउनकी शिक्षा-दीक्षा लमही में हुई और एक मौलवी साहब से उन्होंनेउर्द् और फ़ारसी पढ़ना सीखा। एक रुपया चुराने पर 'बचपन' मेंउन पर बुरी तरह मार पड़ी थी। उनकी कहानी, 'कज़ाकी', उनकीअपनी बाल-स्मृतियों पर आधारित है। कज़ाकी डाक-विभाग काहरकारा था और बड़ी लम्बी-लम्बी यात्राएँ करता था। वह बालकप्रेमचंद के लिए सदैव अपने साथ कुछ सौगात लाता था। कहानी मेंवह बच्चे के लिये हिरन का छौना लाता है और डाकघर में देरी सेपहुँचने के कारण नौकरी से अलग कर दिया जाता है। हिरन केबच्चे के पीछे दौड़ते-दौड़ते वह अति विलम्ब से डाक घर लौटा था।कज़ाकी का व्यक्तित्व अतिशय मानवीयता में ड्रबा है। वहशालीनता और आत्मसम्मान का पुतला है, किन्तु मानवीय करुणासे उसका हूृदय भरा है।
प्रेमचंद की प्रमुख कृतियों में गोदान', 'गबन, निर्मला', 'सेवासदन',रंगभूमिं और 'कफन' शामिल हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्याससमाज के निम्न और मध्यम वर्ग की जिंदगी की सरजीव तस्वीर प्रस्तुतकरते हैं। वे सामाजिक न्याय, नैतिकता और मानवीय मूल्यों के पक्षधरथे।
प्रेमचंद का साहित्य सरल भाषा, मार्मिक शैली और यथार्थवादीदृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दीऔर इसे जनसाधारण के करीब लाया। उनका साहित्य आज भी प्रेरणादायक है औरहिंदी साहित्य का अमूल्य हिस्सा है।
लेखक: मुंशी प्रेमचंद
शैली: सामाजिक कथा, हिंदी साहित्य
पारिवारिक रिश्तों की जटिेलता
समाज में व्याप्त पूर्वाग्रह
प्रेमचंद की विशिष्ट लेखन शैली

मुंशी प्रेमचंद; हिन्दी कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और गद्य रचनाएँ


बड़े बाबू: मुंशी प्रेमचंद की कहानी।। munshi premchand ki kahani!! ‎@ArchanaKiaawaaz 

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मुंशी प्रेमचंद जी
की एक मार्मिक कहानी

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