Published On Premiered Feb 3, 2023
कामशास्त्रीय ग्रन्थ लेखन की परम्परा भारत में अत्यन्त प्राचीन है। इस ग्रन्थ परम्परा का निहितार्थ सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के आदि उपदेश से प्राप्त होता है। कामसूत्रानुसार प्रजापति ब्रह्मा द्वारा दिये गये उपदेश, कामशास्त्र के आदि ग्रन्थ में धर्म, अर्थ और काम त्रिवर्ग का विशद् विवेचन किया गया है। जिसमें धर्म और अर्थ के साथ काम का भी ब्रह्मा ने मानव जीवन के सभी पक्षों को ध्यान में रखकर विस्तृत ऐतिहासिक व उपदेशात्मक वर्णन किया है। इसके बाद आचार्य नन्दिकेश्वर (नन्दी) ने भी अपने कामशास्त्र में कामकेन्द्रित त्रिवर्ग का विस्तृत विश्लेषण किया है। तत्पश्चात् भारतीय ऋषियों, महर्षियों, मुनियों, शास्त्रज्ञों, कवियों और लेखकों ने इस कामशास्त्रीय चिन्तन परम्परा को और भी समृद्ध किया है।
भारतीय शास्त्रज्ञों ने धर्म के लिए धर्मशास्त्र, अर्थ के लिये अर्थशास्त्र, काम के लिए कामशास्त्र और मोक्ष के लिये मोक्षशास्त्र की रचना की। यहाँ पर एक बात ध्यान देना आवश्यक है कि ये सभी शास्त्र वाह्य रूप से अलग होते हुये भी, एक-दूसरे से आन्तरिक रूप से सम्बद्ध है क्योंकि किसी एक शास्त्र के बिना, दूसरे शास्त्र की कल्पना नहीं की जा सकती है। भारतीय चिन्तन परम्परा में जब कोई भी विद्वान किसी भी ग्रन्थ का, जब प्रणयन करता है या किसी भी विषय पर चिन्तन/उपदेश देता है, तब वह सभी शास्त्रों को ध्यान में रखते हुये सबको संयमित एवं सुनियोजित रूप से समाहित करता है। वह चाहे वैदिककालीन विद्वान हो या उत्तर वैदिककालीन।
वक्ता परिचय:
डॉ. राघवेन्द्र मिश्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग में असि० प्रोफेसर हैं। आप ने NSD, मिरांडा कॉलेज ( D.U) और अम्बेडकर विश्वविद्यालय में भी अध्यापन एवं शोधपरक कार्य किया है। कई वर्षों से आप संस्कृत भाषा, साहित्य, संस्कृति और कामशास्त्र का अध्ययन तथा शोध कर रहें हैं l
उप-विषय
0:00 मूलकथन
0:25 वक्ता परिचय
01:35 भारतीय ज्ञान परंपरा
03:57 कामशास्त्र ग्रन्थ का लेखन
09:27 कामशास्त्र का इतिहास
28:10 कामसूत्र का परवर्तीकरण
45:43 बौद्ध भिखुओं द्वारा कामशास्त्र लेखन
48:04 अनंगरंग, रति रहस्य
53:04 संभंधित ग्रंथों के नाम
1:02:49 प्रश्नोत्तर
1:02:53 प्राचीन काल में कामशास्त्र के अध्यन की विधि
1:10:11 स्कूलों में सेक्स एजुकेशन में कामशास्त्र कैसे उपयोगी
1:15:00 कामशास्त्र, आयुर्वेद और अनेकों सम्बंधित औषधियाँ
1:17:42 राजाओं द्वारा रखे जाने वाले बहुसंबंध कितने प्रासंगिक
1:21:37 ब्रह्मचर्य का अर्थ
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