I चित्रकूट सती अनुसुइया कौन थी, जानिए पौराणिक गाथा I Chitrakoot Sati Anusuya kaun thi Janiye Gatha I
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 Published On Oct 12, 2024

सती अनुसुइया आश्रम चित्रकूट धाम का एक पवित्र एवं धार्मिक सिद्ध स्थल माना जाता है। इस आश्रम का सौन्दर्य एवं भव्यता दर्शनीय है। आश्रम के सामने कल-कल बहती हुई मंदाकिनी नदी की धारा नदी के दोनों तटों पर कतारबद्ध रूप से खड़े ऊँचे-ऊँचे वृक्ष यहाँ के सौन्दर्य को और अधिक बढ़ा देते है। आश्रम में प्रवेश करतेे ही बड़े बाबा का समाधि स्थल स्थित है। मुख्य मन्दिर का सौन्दर्य अद्वितीय है। सती अनुसुइया अपनी माँ देवहुती, पिता श्री करदम, ऋषि भाई कपिल और नौ बहनों के साथ दिखाई देती है। अगले चित्र में अत्रिमुनि के साथ माता अनुसुइया के विवाह का चित्रण किया गया है। तीसरी तस्वीर में माता अनुसुइया जी का पति की आज्ञा से पानी लेने जाने का दृश्य अंकित है। चैथे दृश्य में माता अनुसुइया की कृपा से मंदाकिनी गंगा के अवतरण को दिखाया गया है। पाँचवेें चित्र में माता अनुसुइया द्वारा सती नर्मदा के उद्वार का चित्रण किया गया है। छठवे दृश्य में त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु, महेश भिक्षुवेश में माता से भोजन माँगने का दृश्य अंकित है। इसके साथ ही त्रिदेवों को बालक रूप में पालने पर झुलाते हुए का दृश्य अंकित है। इसके पश्चात् त्रिदेवियों द्वारा अपनी भूल से पति वियोग में परेशान एवं माँ से क्षमा माँगने का दृश्य प्रस्तुत है। माता अनुसुइया, उमा, रमा एवं शारदा को उनकी भूल पर क्षमा करती है एवं उन्हें सुहाग का दान देती है। इसके अतिरिक्त इसमें आश्रम अनुसुइया माता द्वारा सीता जी को पतिव्रत धर्म को बताने तथा दत्तात्रेय चन्द्रमा एवं दुर्वाशा ऋषि को तप में लीन दिखाया गया है। इस आश्रम से लगे हुये लम्बे हाल का दृश्य आलौकिक है। इस हाल का सौन्दर्य देखने पर राजा, महाराजाओं की कोठियो का सौन्दर्य फीका दिखाई देता है। मंदाकिनी नदी के उद्गम स्थल के पास स्थित यह आश्रम चित्रकूट की पहाड़ियों में बसा है, चारों ओर से हरे भरे स्थानों से घिरा हुआ है, यहाँ पर्याप्त खुला स्थान है और यह इसे ध्यान और परावर्तन के लिए आदर्श स्थल बनाता है। ऐसा माना जाता है कि ऋषि अत्रि ने अपनी पत्नी अनुसूया के साथ यहाँ ध्यान किया था। इसका स्थान के पवित्र रास्ते और आंगन में शांति का वातावरण बना रहता है, भक्त बिना परेशान हुए शांत वातावरण का आनंद ले सकते हैं और प्रार्थना कर सकते हैं। आश्रम के अंदर रथ पर सवार भगवान कृष्ण की एक बड़ी प्रतिमा है, जिसके पीछे अर्जुन बैठे हुए हैं। आप आगे बढ़ते हैं तो सुंदर कलाकृतियों के साथ और भी मूर्तियां देख सकते हैं जो पवित्र दर्शन के लिए रखी गई हैं । किंवदंती है कि अपने निर्वासन के दौरान भगवान राम और देवी सीता इस आश्रम में भक्त सती अनुसूया से मिलने आए थे, जिन्होंने सतीत्व के बारे में सीता को ज्ञान दिया था। वाल्मीकि द्वारा लिखी गई एक अन्य कथा में कहा गया है कि एक बार 10 साल तक चित्रकूट में बारिश नहीं हुई थी और इसके लोग गंभीर अकाल से पीड़ित थे, उनके पास खाने या पीने के लिए कुछ भी नहीं बचा था। यह सती अनुसूइया की भक्ति ही थी जिसने मंदाकिनी को पृथ्वी पर ला दिया, इस शहर को फिर से जल से भर दिया और वनस्पतियों और जीवों को एक बार फिर पनपने का अवसर दिया। तो दोस्तों कैसा लगा यह वीडियो मुझे कमेंट करके जरूर बताएं और अगर आप मेरे चैनल में नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले और बैल आइकन में बटन दबा दें ताकि मेरे वीडियो सबसे पहले आपको मिले औरअपना प्यार हमेशा बनाए रखें

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