Published On Premiered Oct 23, 2023
जय श्री राम !!!
मेघनाद की मृत्यु से क्रोधित हो रावण स्वयं रणभूमि में उतरता है। देवतागण पैदल नंगे पाव राम देख भगवान ब्रह्मा जी के सुझाव पर इन्द्र का सारथी मातलि को दिव्य रथ के साथ राम के पास भेजते है। रावण राम को इन्द्र के रथ पर आरूढ़ देखकर परेशान हो जाता है। राम रावण के बीच भयंकर युद्ध होता है। राम बारम्बार अपने तीखे बाणों से रावण का शीश काटते हैं किन्तु हर बार उसके धड़ पर नया शीश उग आता जाता है। देवराज इन्द्र यह विचित्र स्थिति देखकर कहते हैं कि प्रभु राम रावण के वक्ष पर बाण क्यों नहीं चलाते। इसपर भगवान ब्रह्मा गूढ़ रहस्य बताते हैं कि राम कभी रावण के हृदय को लक्ष्य करके बाण नहीं चलायेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि रावण के हृदय में सीता का वास है, सीता के हृदय में राम का वास है और राम के हृदय में पूरी सृष्टि का वास है। इस अवस्था में यदि रावण के हृदय में बाण मारा गया तो उसके साथ सीता, स्वयं राम और पूरी सृष्टि का विनाश हो जायेगा। उधर राम की निरन्तर विफलता देखकर विभीषण उनके पास पहुँचते हैं और बताते हैं कि भगवान ब्रह्मा के वरदान से रावण की नाभि में अमृत है। राम अग्निबाण का संधान कर रावण की नाभि को भेदते हैं और उसका अमृत सुखा देते हैं। सारथि मातलि कहता है कि देवताओे ने रावण के विनाश का जो समय बताया था, वह आ चुका है। अब राम ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर रावण का अन्त करें। राम रावण पर ब्रह्मास्त्र चलाते हैं। रावण धरती पर आ गिरता है। प्राण छोड़ते समय पहली बार वह अपने मुख से राम को श्रीराम कहकर पुकराता है। तीनों लोक राम की जय जयकार करते हैं।
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