Published On Oct 4, 2024
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/ coachshubh19
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Maa Kali ki utpatti Shumbh aur Nishumbh ke vadh ke liye hui thi. Yeh katha Mahabharat aur Puranon mein varnit hai.
कैला देवी को महायोगिनी माया का एक रूप माना जाता है. कहा जाता है कि उनका जन्म नंद-यशोदा के घर हुआ था. जब कंस ने उन्हें मारने की कोशिश की, तो उन्होंने अपना दिव्य रूप दिखाया और कहा कि जिसे वह मारना चाहता था, वह पहले ही कहीं और जन्म ले चुका है.
स्कंद पुराण के 65वें अध्याय में कैला देवी जी का विस्तृत वर्णन दिया गया है. इसमें कहा गया है कि कलयुग में उनका नाम कैला होगा और उनके भक्त उन्हें कैलेश्वरी के रूप में पूजेंगे.
ऐसी मान्यता है कि कैला देवी की मूर्ति 11वीं शताब्दी के आस-पास करौली के जंगलों में
आई थी.
करौली के बाहरी इलाके में, कालीसिल नदी के किनारे त्रिकुट की पहाड़ियों के बीच कैला देवी का मंदिर है. यह मंदिर देवी के नौ शक्ति पीठों में से एक माना जाता है.
यदुवंश की कुलदेवी मां कैलादेवी के सोमवार को दर्शन करने का विशेष महत्व है.
कैला देवी को विंध्यवासिनी और हिंगलाज माता के नाम से भी जाना जाता है.
Shumbh aur Nishumbh ne Devtaon ko harakar swarg par kabza kar liya tha. Devtaon ne Devi Durga se madad maangi.
Devi Durga ne apni shakti se Maa Kali ko janm diya. Maa Kali ne apni bhayankar roop se Shumbh aur Nishumbh ko haraya.
Maa Kali ki shakti aur mahima ka varnan karte hue, yeh katha humein shakti, saahas aur adhikar ki prerna deti hai.
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नवरात्रि में पूजी जाने वाली नौ देवियों के नाम ये रहे:
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री.
नवरात्रि में इन नौ देवियों की पूजा की जाती है और हर दिन किसी एक देवी का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि के नौ दिनों में नौ रंगों का भी महत्व होता है. नवरात्रि के बाद दशहरा मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, कैलाश पर्वत के ध्यानी की अर्धांगिनी मां पार्वती को ही ये सभी नामों से जाना जाता है. माना जाता है कि देवी माँ या निर्मल चेतना स्वयं को सभी रूपों में प्रत्यक्ष करती हैं और सभी नाम ग्रहण करती हैं.
ॐ सती नमः ॐ साध्वी नमः, ॐ भवप्रीता नमः ॐ भवानी नमः ॐ भवमोचनी नमः
ॐ आर्या नमः ॐ दुर्गा नमः ॐ जाया नमः ॐ आधा नमः
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ॐ त्रिनेत्रा नमः ॐ शूलधारिणी नमः ॐ पिनाक धारिणी नमः ॐ चित्रा नमः ॐ चंद्रघंटा नमः ॐ महातपा नमः ॐ मनः नमः ॐ बुद्धि नमः ॐ अहंकारा नमः
ॐ चित्तरूपा नमः ॐ चिता नमः ॐ चिति नमः ॐ सर्वमन्त्रमयी नमः ॐ सत्ता नमः ॐ सत्यानंद स्वरूपिणी नमः ॐ अनंता नमः ॐ भाविनी नमः ॐ भाव्या नमः
ॐ भव्या नमः ॐ अभव्या नमः ॐ सदगति नमः ॐ शाम्भवी नमः ॐ देवमाता नमः ॐ चिंता नमः ॐ रत्नप्रिया नमः ॐ सर्वविद्या नमः ॐ दक्षकन्या नमः
ॐ दक्षयज्ञविनाशिनी नमः ॐ अपर्णा नमः ॐ अनेकवर्णा नमः ॐ पाटला नमः ॐ पाटलावती नमः ॐ पट्टाम्बरपरिधाना नमः ॐ कलमंजीर रंजिनी नमः ॐ अमेय विक्रमा नमः ॐ क्रूरा नमः
ॐ सुंदरी नमः ॐ सुरसुन्दरी नमः ॐ वनदुर्गा नमः ॐ मातंगी नमः ॐ मतंगमुनिपूजिता नमः ॐ ब्राह्मी नमः ॐ माहेश्वरी नमः ॐ ऐन्द्री नमः ॐ कौमारी नमः
ॐ वैष्णवी नमः ॐ चामुण्डा नमः ॐ वाराही नमः ॐ लक्ष्मी नमः ॐ पुरुषाकृति नमः ॐ विमला नमः ॐ उत्कर्षिणी नमः ॐ ज्ञाना नमः ॐ क्रिया नमः
ॐ नित्या नमः ॐ बुद्धिदा नमः ॐ बहुला नमः ॐ बहुलप्रेमा नमः ॐ सर्ववाहनवाहना नमः ॐ निशुम्भशुम्भहननी नमः ॐ महिषासुरमर्दिनि नमः ॐ मधुकैटभहन्त्री नमः ॐ चण्डमुण्डविनाशिनि नमः
ॐ सर्वअसुरविनाशिनी नमः ॐ सर्वदानवघातिनी नमः ॐ सत्या नमः ॐ सर्वास्त्रधारिणी नमः ॐ अनेकशस्त्रहस्ता नमः ॐ अनेकास्त्रधारिणी नमः ॐ कुमारी नमः ॐ एक कन्या नमः ॐ कैशोरी नमः
ॐ युवती नमः ॐ यति नमः ॐ अप्रौढ़ा नमः ॐ प्रोढ़ा नमः ॐ वृद्धमाता नमः ॐ बलप्रदा नमः ॐ महोदरी नमः ॐ मुक्तकेशी नमः ॐ घोररूपा नमः
ॐ महाबला नमः, ॐ अग्निज्वाला नमः ॐ रौद्रमुखी नमः ॐ कालरात्रि नमः ॐ तपस्विनी नमः ॐ नारायणी नमः ॐ भद्रकाली नमः ॐ विष्णुमाया नमः ॐ जलोदरी नमः
ॐ शिवदूती नमः ॐ कराली नमः ॐ अनंता नमः ॐ परमेश्वरी नमः ॐ कात्यायनी नमः ॐ सावित्री नमः ॐ प्रत्यक्षा नमः ॐ ब्रह्मावादिनी नमः ॐ सर्वशास्त्रमयी नमः