Published On Jul 1, 2023
देश के गृह मंत्री हाल ही में उदयपुर दौरे पर राजस्थान आते है और बिना राजस्थान, मेवाड़ के इतिहास की जानकारी रखते हुए राणा पूंजा जी सोलंकी को भील कहकर चले जाते है। सोशल मीडिया पर राजपूत समाज अपनी आपत्ति दर्ज करवाते है। किंतु क्या यह पहली बार हुआ है। नही, पहले भी ऐसी कई आपत्तियां दर्ज करवाई, विरोध प्रदर्शन भी किए पर परिणाम शून्य ही रहा। विरोध का यह सिलसिला राणा पूंजा जी की देश में प्रथम मूर्ति स्थापना के समय से ही राजपूत समाज जारी रखे हुए है। इतिहास में हमने कब कब और किस तरह प्रदर्शन किया उसपर जाने से पहले राणा पूंजा जी सोलंकी के पूर्वजों पर नज़र डालते है।
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