Published On Nov 16, 2023
अबकी बेर मांगा कुछ तुहूँ महतारी
माई के करज कुछ हमहूँ उतारीं।
कबहूँ त आवे छठ माइयो के बारी
माई के करज कुछ हमहूँ उतारीं।
जब कुछ मंगलीं दिहलू अंचरा पसार के
एहि पार जीवन आ मुक्ति ओहि पार के
तोहरे त दिहल हमरी जिनिगी ई सारी
माई के करज कुछ हमहूँ उतारीं।
तोहरी असीस माई भरल मोर थाल बा
कबो कुछ मंगलू नाहीं, ईहे बस मलाल बा
बचवन के तरली माई, माई के के तारी
माई के करज कुछ हमहूँ उतारीं।
फल बा मिठाई बाटे, बाटे एगो सारी
श्रद्धा, बिसवास माई रउरा पे वारीं
कुछुओ उठा लीं मोरी किस्मत सँवारी
माई के करज कुछ हमहूँ उतारीं।
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