नारी शक्ति का प्रतीक माने जाने वाली, रानी सती दादी के प्रसिद्ध मंदिर की यात्रा | 4K | दर्शन 🙏
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 Published On Nov 10, 2022

Credits:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी

भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन...भक्तों अनगिनत मान्यताओं और असंख्य परम्पराओं वाला वीरभूमि, मरुभूमि,राजपूताना के नाम से विख्यात राजस्थान हमारे देश का मुकुटमणि है... जहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनका इतिहास ही नहीं वर्तमान भी चमत्कारों से भरपूर है,हम अपने कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से आपको राजस्थान के उन्ही प्रसिद्ध चमत्कारिक मंदिरों की यात्रा करवाने जा रहे हैं।इन्ही मंदिरों में शामिल है झुंझणू का राणी सती माता मंदिर.

मंदिर के बारे में:
भक्तों झुंझणू शहर के मध्य में स्थित राणी सती का 400 साल पुराना मंदिर जिले का सबसे बड़ा धार्मिक एवं पर्यटन स्थल हैं। दूर से देखने पर विशाल क्षेत्र में बना यह मंदिर एक राजमहल की तरह प्रतीत होता है। सम्पूर्ण मंदिर का निर्माण संगमरमर के पत्थरों की कटाई करके बनाया गया हैं। जिसकी दीवारों पर सुंदर पेंटिंग तथा मंदिर प्रांगण में जल विद्युत् के फव्वारे बने हुए हैं। यहाँ प्रत्येक शनिवार तथा रविवार के दिन मंदिर में विशेष भीड़ देखने को मिलती हैं।

मंदिर की वास्तुकला:
भक्तों झुंझणू का राणी सती माता मंदिरशहर के बीचों-बीच स्थित शहर का प्रमुख दर्शनीय स्थल है।ये मंदिर बाहर से देखने में किसी राजमहल की भांति दिखाई देता है। यह भव्य मंदिर पूर्णतः संगमरमर निर्मित है। मंदिर की बाहरी दीवारों की शानदार कलाकृतियाँ एवं रंगीन चित्रकारी इस मंदिर की भव्यता को कई गुना बढ़ा देती हैं।

मंदिर परिसर:
भक्तों झुंझणूके रानी सती मंदिर में,रानी सती माता के अलावा कई देवी देवताओं की मूर्तियाँ और मंदिर हैं। मुख्य मंदिर के गर्भगृह मेंरानी सती दादी विराजमान हैं। मंदिर परिसर में षोडश माताजी का एक आकर्षक मंदिर भी हैं जिसमें सोलह देवियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। जिनमें माँ नारायणी,जीवणी सती, पूर्णा सती, पिरागी सती,जमना सती,टीली सती,बानी सती,मैनावती सती,मनोहरी सती,महादेई सती,उर्मिला सतीऔर गूजरी सती आदि की भव्य मूर्तियाँ हैं। यहाँ के हरि बगीची में भगवान शिव की सुंदर मूर्ति स्थापित हैं। भगवान शिवके अलावा यहाँ माता पार्वती, गणेश जीऔर श्रीराम दरबार (राम, सीता, लक्षमण और हनुमान जी) की सुंदर झाँकियाँ हैं। मंदिर परिसर में, एक मंदिर भगवान लक्ष्मीनारायण का भी है।

नारी सम्मान का प्रतीक:
भक्तों शेखावटी क्षेत्र में राणी सती को नारी के सम्मान, नारी शक्ति,नारी अस्मिता व ममताका प्रतीक माना जाता हैं, राज्य से ही नहीं देश के अलग अलग शहरों से बड़ी संख्या में भक्त आकर माँ राणी सती के चरणों में शीश नवाते हैं।मंदिर में शनिवार और रविवार को खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

मंदिर मेला:
भक्तों रानी सती मंदिर में हर साल भादो मास की अमावस्या के दिन भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है जो पूरे देश में प्रसिद्ध है। जिसमे भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है। मेले के दौरान भक्तों द्वारा रानी सती माता को चुनरी चढ़ाई जाती है उनका श्रृंगार किया जाता है, साथ ही मंदिर प्रबंधन द्वारा भंडारा भी चलाया जाता है। इस दिन मंदिर में माता राणी सती की विशेष पूजा भी की जाती है जिसमें हजारों भक्त अपने परिवार के साथ पहुंचते हैं और रानी सती माता की पूजा-अर्चना करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

लोगों की मान्यता:
भक्तों रानी सती माता के बारे में लोगों की मान्यता है कि राणी सतीजी नारी शक्ति का प्रतीक और आदिशक्ति माँ दुर्गा का अवतार थीं। जिन्होंने आज से चार सौ साल पहले अपने पति के हटायारे को मारकर जीवित समाधि ली थी। माता राणी सती के सभी भक्त अपने घरों में माता राणी सतीजी की प्रतिमा स्थापित करके पूजा करते हैं। उनका विश्वास है कि माँ के समक्ष मांगी गई प्रत्येक मुराद पूरी होती हैं।

जन्म और बचपन:
भक्तों रानी सती जी का जन्म,विक्रम संवत 1338 कार्तिक शुक्लपक्ष कीअष्टमी तिथि,मंगलवार अर्धरात्रि को,हरियाणा में हुआ। इनके पिता महम नगर ढोकवा निवासी घुरसमल जी गोयल थे। जन्म के समय इनका नाम नारायणी देवी रखा गया था। बचपन से ही इन्हें धार्मिक कथाएँ सुनने एवं सखियों के साथ खेलने का शौक था।शस्त्र,शास्त्र और घुडसवारी की शिक्षा इन्होने घर में हीप्राप्त की थी।ये उत्तम दर्जे की निशानेबाज़ थी, इनकी निशानेबाज़ीयोग्यता का कोई सानी नहीं था।

बचपन में चमत्कार:
भक्तों कहा जाता हैं कि इनके महम नगर में एक डायन आया करती थी, जो स्त्री, पुरुष व बच्चों को अपना शिकार बनाती थी।जब उसे नारायणी देवी के बारे में पता चला तो वह उन पर हमला करने के लिए आई। मगर नारायणी देवी को देखकर उसकी हिम्मत नहीं हुई, जाते जाते वह नारायणी की एक सखी को अपने साथ ले जाने लगी।तब नारायणी ने डायन की तरफ देखा तो वह अंधी हो गई औरबेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी। वह देवी को पहचान चुकी थी। अतः उसने नारायणी की सहेली को छोड़दिया। और हाथ जोड़कर नारायणी से अपनी आँखों में रौशनी की भीख मांगते हुये भविष्य में बच्चों का भक्षण नकरने का वचन दिया। इस पर नारायणी बाई ने उसे माफ़ कर दिया और उसकी आँखों में रौशनी वापस आ गई।

भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏

इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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