Published On Jul 17, 2022
प्रतिक आजादी अभियान का,
जिन को मिला लोकमान्य उपनाम था ,
बाल गंगाधर तिलक उनका नाम था!
लोकमान्य तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर तथा श्रेष्ठ बलिदानों में एक थे अपनी उग्रवादी चेतना विचारधारा साहस बुद्धि व देशभक्ति के लिए जाने जाते थे!
उनका जन्म 23 जुलाई 1856 में रत्नागिरी महाराष्ट्र में हुआ। उनके पिताजी का नाम गंगाधरपंत था और उनकी माता जी का नाम पार्वती बाई था उन्होंने गणित ,संस्कृत में डिग्री डेक्कन कॉलेज पुणे में की और उसके बाद कानून की पढ़ाई मुंबई यूनिवर्सिटी में पूरी की उस समय वह सभी लोगों की निस्वार्थ सेवा के लिए आदर्श थे, उन्होंने केसरी और मराठा नामक दो समाचार पत्रों का प्रकाशन शुरू किया और उन अखबारों में वह ब्रिटिश शासन के कट्टर आलोचना और उदार राष्ट्रवादी विचार लिखते थे और सामाजिक सुधारों की वकालत और संविधानिक राजनीतिक सुधारों का समर्थन किया करते थे इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा जेल में उन्होंने गीता रहस्य ग्रंथ लिख कर गीता ग्रंथ को बड़ी सरलता से समझाने का प्रयास किया। उन्होंने गणेश उत्सव, शिवाजी उत्सव आरंभ किए उसके जरिए वह आजादी के विचार लोगों तक पहुंचा सके।
वह कहा करते थे कि स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है जब तक यह मुझ में जिंदा रहेगा तब तक मैं बूढ़ा नहीं हूं इस भावना को ना कोई हथियार काट सकता है और ना ही अग्नि जला सकती है और नहीं जल भिगो सकता है हम लोग स्वराज्य की मांग करते हैं और हम अवश्य ही से प्राप्त करेंगे।
इस तरह उन्होंने शिक्षा और स्वराज जैसे अहम विषयों का आधार बनाकर अंग्रेज विरोध सोच को जन्म दिया कि तिलक जी का जीवन का आदर्श पूर्ण संघर्ष और देश के प्रेम में भरा था जो आज सभी राष्ट्रवादीओ के मन में देश प्रेम की भावना जागृत करता है ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक हमे 1अगस्त 1920 को छोड़कर चले गए ।उन्हें मैं उनके द्वारा किए गए महान कार्य के लिए शत शत नमन करती हूं।
धन्यवाद
जय हिंद जय भारत