लद्दाख protest 🪧 धारा 370 कि मांग फिर से || कश्मीर लद्दाख अलग होकर अलग कानून कि मांग
Soch by Daksh Soch by Daksh
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 Published On Apr 7, 2024

श्री गणेशाय नमः
This is my first video date is 07-04-2024




Ladhak case study । Why Ladhak people is protest।
Sonam wakchung is on strike। remove 370 ।


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भारत सरकार ने 20 October 2019 में धारा 370 हटाने के साथ लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया , इससे लेह क्षेत्र में खुशी कि लहर दौड़ गई, सरकार का कहना था कि इससे लद्दाख में बाहरी निवेशकों को लद्दाख में निवेश करने का मौका मिलेगा, इससे विकास और रोजगार के अवसर मिलेंगे, साथ हीं राज्य के स्वायतता कानून के खत्म होने से केंद्र सरकार के कई योजनाएं लागू हो पाएगी,
अब आपके मन में सवाल आएगा कि क्या जम्मू और लद्दाख में भारत के कानून लागू नहीं होते थे, इसका जवाब है, हां ।

लद्दाख के लोग सड़क पे उतर कर protest क्यों कर रहे हैं, लोग संविधान के छठी अनुसूची को लागू करने कि बात क्यों कह रहे हैं, और ये छठी अनुसूची है क्या , समझने के लिए आपको जम्मू कश्मीर के इतिहास और धारा 370 को समझना होगा,
तो चलिए समझते हैं पूरा मामला क्या है,

हमलोग वक्त में थोड़ा पीछे चलते हैं, 1947 में
जम्मू और कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य हुआ करता था और तब
वहां के महाराजा हरि सिंह भारत या पाकिस्तान के साथ न जुड़ने का निश्चय किया था। 1949 आते आते जब भारत और पाकिस्तान अलग हुआ तब कश्मीर पे पाकिस्तान कब्जा करने के मनसूबे से आक्रमण करने लगा, पाकिस्तानी सैन्य दबाव और आक्रमण के चलते महाराजा ने 17 अक्टूबर 1949 को भारत के साथ विलय करने का निर्णय लिया और भारतीय सेना की सहायता मांगी। राजा हरि सिंह ने भारत में अपने राज्य को बिलय करने के लिए भारत सरकार से कुछ सर्त रखी, तब
भारत सरकार ने राज्य को विशेष दर्जा देने का वादा किया और उनके सर्तो को भारत सरकार ने संविधान में धारा 370 के अनुच्छेद में वर्णन किया, और
17 अक्टूबर 1949 को, भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 को 'अस्थायी प्रावधान' के रूप में जोड़ा गया, जिसने जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष शक्तियां प्रदान कीं। अनुच्छेद 370 के तहत, जम्मू और कश्मीर को अपना संविधान बनाने, अपना झंडा रखने और राज्य के आंतरिक मामलों में स्वायत्तता रखने की अनुमति थी। इस प्रावधान ने राज्य को भारतीय संविधान के कुछ अनुच्छेदों से छूट दी थी और भारतीय संसद की विधायी शक्तियों को सीमित किया था । इससे जम्मू और कश्मीर को एक अद्वितीय स्वायत्तता मिली , और राज्य के स्थायी नागरिकों के लिए कानून बनाने की शक्ति मिली। इस अनुच्छेद के तहत, रक्षा, विदेशी मामलों, वित्त और संचार को छोड़कर, संसद को अन्य सभी कानूनों को लागू करने के लिए राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता होती थी। इस प्रकार राज्य के निवासी अन्य भारतीयों की तुलना में नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों से संबंधित कानूनों के एक अलग सेट के तहत रहते थे ।
धारा 370 के तहत जम्मू कश्मीर भारत का अभीनय अंग तो था लेकिन भारत के कानून वहां लागू नहीं होते थे , वहां भारत के लोग ना हीं ज़मीन खरीद सकते थे , और ना हीं वहां Bussiness कर सकते थे ,
समय बीतता गया और धारा 370 जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधा बनने लगी,

धारा 370 जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधा इस प्रकार डालती थी ।
सीमित निवेश, धारा 370 के कारण बाहरी निवेशकों को जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने या व्यापार स्थापित करने में कठिनाई होती थी, जिससे राज्य में आर्थिक विकास सीमित रहता था।

स्वायत्तता के प्रावधान, राज्य की अपनी स्वायत्तता के कारण, केंद्र सरकार के कई कानून और योजनाएं जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होती थीं, जिससे विकास के अवसर सीमित हो जाते थे ।

प्रशासनिक जटिलताएं, धारा 370 के कारण वहां आतंकवादी समस्याएं बढ़ने लगी, भारत के प्रशासन को वहां काम करने के लिए और आतंक ले लड़ने के लिए वहां कि सरकार से permission लेनी पड़ती थी, इससे प्रसनानिक गतिविधियां धीमा हो जाता था और आतंकी भाग निकलने में सफल हो जाते थे,
साथ ही इससे विकास कार्यों में देरी होती थी ।

रोजगार के अवसर, धारा 370 के कारण राज्य में रोजगार के अवसर सीमित थे,




इन्हीं सभी कारण को देखते हुए सरकार ने 20 october 2019 को धारा 370 को जम्मू कश्मीर से हटा दिया और जम्मू और लद्दाख को अलग केंद्र साशित प्रदेश घोषित कर दिया, हालाकि 2020 में हीं लोगों ने सरकार के अपूर्ण वादे के खिलाफ प्रदर्शन करना सुरु कर दिए थे, लेकिन यह protest ज्यादा दिनों तक नहीं चला, फिर 3 मार्च 2024 को प्रसिद्ध engineer सोनम वाकचुंग के द्वारा लद्दाख में प्रयावरण संरक्षण और खनन के खिलाफ शांति protest से स्टार्ट हुए, देखते ही देखते सप्ताह भर में हीं उनके साथ हजारों लोग आ जुट गए, और फिर पूरा लद्दाख में सरकार के नीतियों के विरोध में लोग आ खड़े हुए, उनके protest का कारण है कि धारा 370 हटने के बाद लद्दाख में बाहरी लोगों को दबदबा बढ़ने लगा, जिससे लद्दाख के जनजाति लोगों को रोज़गार के अवसर कम होने लगे, सरकार के वादे के अनुसार रोज़गार बढ़ेंगे लेकिन हुआ कुछ उल्टा, दूसरी वजह खुद सरकार कि नीतियां है, 370 हटने से लद्दाख में highways बनाने के लिए भारी संख्या में जंगलों को काटा जाने लगा, चुकी लद्दाख के 97 percent आबादी आदिवासी है, और वो खास कर जंगलों पे ही निर्भर करते हैं, तीसरी कारण है कि 370 हटने से सीधा केंद्र का दबदबा बढ़ गया इलाके पे और लोकल नेताओ के अवसर समाप्त हो गए , इसलिए लद्दाख के नेता लद्दाख के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग की स्थापना की मांग भी कर रहे हैं, जिससे लद्दाख के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया और भर्ती में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिल सके । साथ ही वे संविधान के छठी अनुसूची को लागू करने कि मांग कर रहे हैं,

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