Published On Nov 19, 2023
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
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युधिष्ठिर नेवले से पूछता है की मैंने इस यज्ञ को पूर्ण करने के लिए सब कुछ किया है इसलिए यह यज्ञ महान है। वह नेवला राजा युधिष्ठिर को बताता है की यदि आपका यह यज्ञ महान होता तो मेरा सारा शरीर सोने का हो जाता। वह नेवला युधिष्ठिर को बताता है की कुरुक्षेत्र की भूमि में काकोती नाम का एक ब्राह्मण अपनी पत्नी और अपने बेटे और बहू के साथ रहता था। वह अपने द्वार पर आने वाले किसी भी याचक को ख़ाली हाथ नहीं लौटता था। कुछ वर्षों बाद उस ब्राह्मण एक दरिद्र समय आ जाता है और जैसे तैसे करके काकोती अपने परिवार के लिए थोड़ा अनाज खेत से ले आता है जिसे वो खाने के लिए पका लेते हैं और जी ही खाने बैठते हैं तो उनके द्वार पर भिक्षुक आ जाता है और उनसे भोजन माँगता है। काकोती उस ब्राह्मण को अपने घर में बुलाता है और अपना भोजन उस ब्राह्मण को दे देता है जब उसका पेट नहीं भरता तो काकोती की पत्नी अपने हिस्से का भोजन भी ब्राह्मण को देने के लिए दे देती है। भूखे ब्राह्मण को काकोती अपने हिस्से का सारा भोजन दे देते हैं। वह ब्राह्मण जब ये देखता है तो खड़ा हो जाता है और अपने असली रूप में आता है जो स्वयं काल थे और उनकी परीक्षा लेने के लिए आए थे जिस से खुश हो कर स्वर्ग में उन्हें स्थान मिल जाता है। वह नेवला भी वहीं था और ये सब होते देख रहा था। वह बचे हुए भोजन को खाता है और उसके खाते ही उसका आधा शरीर सोने का हो जाता है।
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