टीवी पत्रकारिता का भुचुनौना युग और Nirmala Sitaraman का मौलिक अर्थशास्त्र | NL Tippani Episode 125
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 Published On Premiered Oct 18, 2022

इस हफ्ते टिप्पणी में विस्तार से सुनिए धृतराष्ट्र-संजय संवाद. जहां दिलचस्प अंदाज में बात वित्तमंत्री #nirmalasitharaman की और साथ में भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा की. संजय ने बताया कि निर्मलाजी मौलिक अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं. धृतराष्ट्र ने टोंका मौलिक अर्थशास्त्र क्या बला है. संजय ने जो बताया वह आप भी सुनिए.

निर्मलाजी का मौलिक अर्थशास्त्र कहता है- “यह कहना कि #rupee की कीमत गिर रही है सही नहीं होगा, ऐसे कहिए #dollar मजबूत हो रहा है. निर्दयाजी का यह मौलिक अर्थशास्त्र बिल्कुल उसी मौलिक ज्ञान का विस्तार है जिसके तहत हमें बताया गया है कि चाकू ने खरबूजे को काटा यह कहना सही नहीं है, यूं कहिए कि खरबूजा नामुराद खुद ही चाकू पर आ गिरा और कट गया. इसी तरह इन दिनों डंकापति न्याय का इकबाल बुलंद करने में लगे हुए हैं.

दूसरी ओर भारतीय टेलीविज़न पत्रकारिता के एक महामानव हैं तिहाड़ शिरोमणि. कहने को तो नंबर एक चैनल में पहुंच गए हैं, लेकिन इनका कंटेंट नंबर दो वाला ही चल रहा है. इन्होंने शिद्दत से टेलीविज़न पत्रकारिता को भुचनौना युग में होते हुए सांप्रदायिकता की दलदल में पहुंचाया और वहां से इसे सरकार के चरणों का दास बना दिया. भुचनौना माने भूत, चुड़ैल, नौटंकी और नाग-नागिन. टेलीविजन का यह दौर भुचुनौना युग के नाम से जाना जाता है.

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