नैमिषारण्य मंदिर का इतिहास | 88 हजार ऋषि मुनियों ने किया था इस स्थान पर तप |
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 Published On Aug 25, 2024

नैमिषारण्य मंदिर का इतिहास | 88 हजार ऋषि मुनियों ने किया था इस स्थान पर तप |

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नैमिष धाम का इतिहास
Naimish dham
ललिता देवी मंदिर
Lalita temple
चक्र तीर्थ कुंड
Chakra kund
वेद व्यास जी की गद्दी

जय माता दी दोस्तों, तीर्थों का तीर्थ Naimisharayan कहा जाता है कि इस तीर्थ में सारे तीर्थ निवास करते है।

नैमिषारण्य हिन्दुओं का एक बहुत ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। ये उत्तर प्रदेश में लखनऊ से लगभग 80 किमी की दूरी पर सीतापुर जिले में गोमती नदी के तट पर स्थित है। नैमिषारण्य सीतापुर स्टेशन से लगभग एक मील की दूरी पर स्थित है। यहां चक्रतीर्थ, व्यास गद्दी, मनु-सतरूपा तपोभूमि और हनुमान गढ़ी प्रमुख दर्शनीय स्थल भी हैं। यहां एक सरोवर भी है जिसका मध्य का भाग गोलाकार के रूप में बना हुआ है और उससे हमेशा निरंतर जल निकलता रहता है।

एक कथा के अनुसार, एक समय दानवों के भय से दुखी होकर ऋषिगण ब्रह्मा जी से कहा, " हे सृष्टि रचियता! धरती पर किसी ऐसी जगह के बारे में बताएं, जहां हम बिना किसी डर के धर्म कार्य और अनुष्ठान कर सकें।"


उनके आग्रह पर ब्रह्मा जी ने सूर्य के समान तेज एक चक्र पृथ्वी पर भेजा और ऋषियों से कहा, "आप इस चक्र का अनुसरण करें, जहां इसकी नेमि (धुरी) भूमिगत होगी। उसी स्थल पर निवास करें। चक्र जहां आकर गिरा वो स्थान नैमिशरण कहलाया।

माना जाता है की यहां पर पाताल लोक के अक्षय जल स्रोत से जल आता है।

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