Shri Padamprabhu Chalisa | श्री पदमप्रभु चालीसा | मन की सारी उदासी मिटा देगा ये चालीसा
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 Published On Jul 5, 2022

Shri Padamprabhu Chalisa | श्री पदमप्रभु चालीसा | मन की सारी उदासी मिटा देगा ये चालीसा

► Album - Shri Padam Prabhu Chalisa
► Song - Shri Padam Prabhu Chalisa
► Singer - Chetna Shukla
► Music - M M Brothers
► Lyrics - Traditional
➤ Label - Vianet Media
➤ Sub Label - Namokar
➤ Video Editor - Sachin Jain
➤Parent Label(Publisher) - Shubham Audio Video Private Limited
➤ Trade Inquiry - [email protected]
8986-JNS_VNM
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श्री पदमा प्रभु चालीसा
सिद्ध प्रभु को नमन कर नमन करूँ अरिहंत
आचार्य उपाध्याय से मिले मुक्ति का पंथ
सर्व साधु का भाव से लेते शुद्ध नाम
पदम् प्रभु भगवान को बारम्बार प्रणाम

जय श्री पदम् प्रभु जिन देवा करे आपकी नित प्रति सेवा
श्रद्धा भक्ति से मै ध्याऊँ तुम चरणों में शीश झुकाऊं

शांति परम् शान्ति के दाता हे प्रभु तुमसे मेरा नाता
इस जीवन की डोर सम्भालो भव सागर से हमें निकालो
साध साधना से तुम पाया तभी ज्ञान आनंद लुटाया
वेद राग जिन धर्म के ज्ञानी आत्म साधना आत्म के ध्यानी
सुंदर मुद्रा चित लुभाये भक्त को अपने पास बुलाये
कोसंबी में जन्म लिया है धारण जी को धन्य किया है
तुम्हे देख ज्योति को पाए छू कर सारे रोग भगाये
देखा आगे बंधा हुआ था तब तुमने वैराग लिया था

पांच माह व्रत पांच समिति तीन गुपतिया आयी प्रमिति
राजपाट को त्रिव्रत छोड़ा सर्व परिग्रह से मुख मोड़ा
मोहे मोह में बाँध सका ना ज्ञान सामान भी होये सखा ना
घोर तपो से आतम तपाया कवाल ज्ञान का दीप जलाया

तीन लोक में हुआ उजाला भव्य दीप सब हुआ उजाला
समो शरण की रचना सुन्दर भव्य जीव जा बैठे अंदर
दिव्य ध्वनि से तृप्त किया भव्यो ने संन्यास लिया था
भव सागर से पार उतारे हमको भी प्रभु बनो सहारे
अंत समय मोहन मन भाया इसी कोट से मोक्ष को पाया
श्री सामेध शिखर में दर्शन दर्शन से हो सम्यक दर्शन
जयपुर में हो जय जयकारा बड़ा ग्राम को आपने तारा
मुला जाट ने करी खोदाई प्रतिमा पदम् प्रभु की पायी

हर्षित हो गए सब नर नारी मूर्त की सूरत थी न्यारी
भूत प्रेत सब भग जाते है संकट सारे कट जाते है
जो जाप्ता है नाम तुम्हारा उसकी होती जय जयकारा
आँखों से अँधा भी देखे लूला अपने हाथो ले के

लंगड़ा पर्वत पर चढ़ जाए गुंगा भी जिन वाणी गाये
बहरे को भी सुन पड़ता है जड़मत की जाती जड़ता है
निर्धन झोली भर ले जाए खाली गोद में पुत्र है आये
अतिशय की वर्षा है होती अतिशय के मिलते है मोती
अतिशयकारी प्रतिमा सुन्दर स्वेत वरन का भरा समुन्दर
हम भी प्रभु जी आस लगाए सच माने को दर्पण आये
दर्शन करने को मै आऊं खाली हाथ न वापस जाऊं
सम्यक ग्यानी सम्यक ध्यानी सम्यक आपकी है जिन वाणी

मन वीणा के तार मिला दो मुरझ्या हुआ कमल खिला दो
कमल आपका चिन्ह बताया कमल ने पल को दूर हटाया
देने में प्रभु कभी ना करना मेरे पापो को तुम हारना
पूजा सदा करूंगी भगवन सदा सदा ही रखना चरनन
इन कर्मो से प्रभु मै हारी नैया करना पार हमारी
स्वस्ति चरण में शीश झुकाये मुक्ति सुख से भाव ना आये

चालीसा चालीस दिन करे भव्य जो कोई
भव बाधाएं दूर हो सुख समृद्धि होये
पदम् प्रभु भगवान की मूर्त है मनहार
भक्ति करते भाव से हो जाते है भवपार

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