Published On Mar 28, 2020
जन्म लेते ही सूर्य को निगलने के लिए उडान भरने की कथा से यह स्पष्ट होता है कि वायुपुत्र (वायुतत्त्व से उत्पन्न) हनुमान, सूर्य पर (तेजतत्त्व पर) विजय प्राप्त करने में सक्षम थे । पृथ्वी, आप, तेज, वायु एवं आकाश तत्त्वों में से वायुतत्त्व तेजतत्त्व की अपेक्षा अधिक सूक्ष्म है अर्थात अधिक शक्तिमान है ।
सर्व देवताओं में केवल हनुमान जी को ही अनिष्ट शक्तियां कष्ट नहीं दे सकतीं । लंका में लाखों राक्षस थे, तब भी वे हनुमान जी का कुछ नहीं बिगाड पाए । इसीलिए हनुमान को ‘भूतोंका स्वामी’ कहा जाता है । यदि किसीको भूतबाधा हो, तो उस व्यक्तिको हनुमान जी के देवालय ले जाते हैं अथवा हनुमानचालीसा का पाठ करते हैं । इससे कष्ट दूर न हो, तो पीडित व्यक्ति पर से नारियल उतारकर, हनुमान जी के मंदिर में जाकर फोडते हैं । नारियल उतारने से व्यक्ति में विद्यमान तमोगुणी स्पंदन नारियल में प्रविष्ट होते हैं । वह नारियल हनुमानजी के मंदिर में फोडने पर उससे बाहर निकलनेवाले स्पंदन हनुमानजी के सामथ्र्य से नष्ट होते हैं । तत्पश्चात वह नारियल विसर्जित किया जाता है ।
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