Published On Dec 19, 2020
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A beautiful poem on Childhood and upbringing
इस कविता के रचयिता है श्री P R Bhatt
तो प्रस्तुत है यह अद्भुत कविता " बचपन"
Poem
फूलों सी मुस्कान तुम्हारी, मात-पिता जाते बलिहारी।
निर्मल निश्चल भाव तुम्हारे, तुम्ही हो आशादीप हमारे।
बाल अवस्था सबसे न्यारी, यही बनाती तुम्हे संस्कारी।
श्रेष्ठ जनों का करो सत्कार, मिलेगा प्रतिफल स्नेह पार।
अपने अध्यापक का करो सम्मान, भूलकर भी ना करो अपमान।
गुरु है सच्चा पथ-प्रदर्शक, हित-चिंतक व भविष्य प्रवर्तक।
जल्दी सोकर जल्दी जागो, अनावश्यक लम्बी निद्रा त्यागो।
साफ़ सफाई का रखो ध्यान, प्रातः उठकर करो स्नान।
आलस्य-झूठ का करो बहिष्कार, यदि करने हैं सपने साकार।
हठ मत कर बैठो बात-बात पर, कहना मानो क्रोध त्याग कर।
स्वच्छ आचरण नित्य अपनाओ, उज्जवल अपना भविष्य बनाओ।
शुभ मन एवं विचार-विवेक, करेगा मार्ग प्रशस्त अनेक।
करेगा मार्ग प्रषस्त अनेक।
Recited by Tapasya Jain...