एमआयटी तर्फे तीन दिवसीय ‘पहिली राष्ट्रीय वैज्ञानिक गोलमेज परिषद’ १९ पासून
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 Published On Jul 11, 2024

एमआईटी डब्ल्यूपीयू द्वारा देश में पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों की
तीन दिवसीय ‘प्रथम राष्ट्रीय वैज्ञानिक गोलमेज सम्मेलन’ १९ से
देश-विदेश से १३० वैज्ञानिकों की भागीदारी

पुणे, ९ जुलाई ः देश में पहली बार एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित विकसित भारत २०४७ पर भारतीय वैज्ञानिकों का तीन दिवसीय प्रथम राष्ट्रीय वैज्ञानिक गोलमेज सम्मेलन (एनएसआरटीसी) का आयोजन कर रही है. यह सम्मेलन शुक्रवार १९ से रविवार २१ जुलाई को एमआईटी डब्ल्यूपीयू में होगा. ऐसी जानकारी वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्म विभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर, पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड और एमएसआरटीसी के राष्ट्रीय संयोजक और एमआईटी डब्ल्यूपीयू के प्रो वाइस चांसलर डॉ. मिलिंद पांडे ने पत्रकार वार्ता में दी.
गोलमेज सम्मेलन का उद्घाटन शुक्रवार १९ जुलाई को शाम ४ से ६ बजे बीच एमआईटी डब्ल्यूपीयू में होगा. इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे. साथ ही डीएसआईआर के महानिदेशक एवं सचिव डॉ. श्रीमती एन. कलई सेलवी, पद्मविभूषण डॉ.रघुनाथ माशेलकर, पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर, पूर्व महानिदेशक डॉ. शेखर मांडे, इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुुंबई के पूर्व कुलपति गणपति यादव और मद्रास आईआईटी के प्रो. टी.प्रदीप मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे.
समारोप समारोह रविवार, २१ जुलाई को शाम ४ से ६ बजे होटल टिप टॉप में होगा.
सम्मेलन की अध्यक्षता एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड निभायेंगे. उक्त सम्मेलन एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड की संकल्पना से साकार हो रहा है.
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भौतिक विज्ञान, जैविक विज्ञान और इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के सभी पहलुओं में अनुभवों और अनुसंधान परिणामों के आदान-प्रदान के लिए प्रमुख शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और अनुसंधान विद्वानों को एक साथ लाना है.

सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यह है कि इसमें भाग लेने वाले वैज्ञानिक नये विचार और नयी दिशाएँ प्रस्तुत करेंगे. यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ उभरते क्षेत्रों में बुनियादी अनुसंधान में शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं, विशेष रूप से उभरती युवा पीढ़ी को सहायता प्रदान करेगा. इसमें इस शोध को आगे बढाने की प्रेरणा भी मिलेगी. गोलमेज सम्मेलन में अंतःविषय के साथ-साथ अतर्राष्ट्रीय सहयोग के नए तरीकों और विज्ञान को सशक्त बनाने के लिए प्रेरित करेंगी.
गोलमेज सम्मेलन २०२४ में सबसे महत्वपूर्ण बात १०० साल में एक न्यायसंगत, टिकाऊ और मानव केंद्रित विकसित भारत बनाने के नए तरीके ढूंढना है, जो अत्याधुनिक तकनीकी उपकरण विकसित करके बाकी दुनिया के लिए एक रोल मॉडल होगा.
इस सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), एडवांस मटेरियरिल्स एंड प्रोसेसिंग, एग्री टेक (कृषी तकनीक), बायोटेक्नोलोजी (जैव तकनीक ), क्लाइमेट चेज (पर्यावरण में बदलाव), डिजिटल ट्रान्सफॉर्ममेशन, हेल्थ केअर (स्वास्थ्य संभाल) और साइन्स, साइन्टीफिक  टेम्पर एंड स्पिरिच्यूलिटी विषयों पर चर्चा होगी.
तीन दिवसीय गोलमेज सम्मेलन में पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर, डीएसआईआर सचिव और सीएसआईआर महानिदेशक डॉ. कलाई सेल्वी, पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर, डॉ. गणपति यादव, डॉ. शेखर मांडे, अमेरिकी वैज्ञानिक अशोक जोशी, पद्मश्री डॉ. थल्लापई प्रदीप, प्रो.डॉ. एमएस रामचन्द्र राव, डॉ. रिचर्ड लोबो, प्रो.डॉ. अजीत कुलकर्णी, डॉ. उमेश बाघमोर, डॉ. दीपांकर दास शर्मा, डॉ. दिनेश आस्वाल, डॉ. टाटा ए. राव, डॉ. भूषण पटवर्धन, प्रा. अनिल सहस्त्रबुद्धे, डॉ. नीरज खरे, डॉ. के. सामी रेड्डी,  डॉ. अतुल वर्मा, यूएसए येथील डॉ.अशोक खांडकर, डॉ. सुमित्रे, इस्त्रो के वैज्ञानिक डॉ. इलांगवन, आइआइसी बंगलोर के प्रो.कृपानिधी, प्रो. अनिक कुमार, आइसर के संचालक प्रो. अशोक गांगुली, डॉ. रजत मोना, प्रा.दास गुप्ता, डॉ. नाग हनुमैया, समीर के संचालक डॉ. हणमंतराव, सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रा. डॉ. कौतुभ दलाल, परड्यू यूनिवर्सिटी के प्रा.सचिन पोल, डॉ. सुजाता चकलानोबिस  के साथ पूरे भारत से लगभग १३० अलग अलग विषय के वैज्ञानिक उपस्थित रहेंगे.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित सम्मेलन में १३० वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न विषयों पर किये गये शोध की एक सारगर्भित पुस्तक प्रकाशित की जाएगी.
इस गोलमेज सम्मेलन का युटूब्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर लाइव प्रसारण किया जाएगा.
आयोजित पत्रकार वार्ता में एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. अशोक जोशी, डब्ल्यूपीयू के सीएओ डॉ. संजय कामतेकर, डॉ. एमएस रामचन्द्र राव, डॉ. भारत काले और चावली मूर्ति उपस्थित थे.

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