Published On Jul 24, 2023
||फूल और कांटे||अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध||#फूलओरकांटे#अयोध्यासिंहउपाध्यायहरिऔध#
इस कविता में कवि ने फूल और काँटे का तुलना करते हुए वर्णन करते है।उनके स्वभाव में अन्तर को स्पष्ट करते है। कवि कहते है कि फूल और काँटा दोनों एक ही जगह से जन्म लेते हैं। एक ही पौधा उन्हें पालता है अर्थात् एक ही पौधे पर दोनों पैदा होते हैं तथा बढ़ते हैं। फिर भी उनके स्वभाव एवम गुण में बिरोधाभाष है। अतः स्पष्ट है व्यक्ति का निज गुण ही उसका पहचान होता है न की उसका कुल।
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