What is Classical Language(शास्त्रीय भाषा)Which languages have been included in it recently,impoten
*Hemwanta Gurukul* *Hemwanta Gurukul*
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 Published On Oct 6, 2024

शास्त्रीय भाषा

(Lassical Language (2शास्त्रीय भाषा),

①Classical Language मानदड

प्राचीन सास्कृतिक विरासत की संरक्षक भाषा का 1500-2000 वर्ष पुराना रिकॉर्ड हो ② प्राचीन साहित्य, ग्रंथ संग्रह, शिलालेख साक्ष्य पीढ़ियां देती है, विरासत की दर्जा ↳ अपने बच्चो को सिखाते आ रहे हो। ③ भारत में अभी तक 22. आधिकारिक

भाषाएं है। ५) 'शास्तीय भाषा "की की नई श्रेणी २००५ तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड, मलयालम, जोडी गई उड़िया शामिल है। (मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया

का महत्व प्राचीन साहित्यिक धरोहर का डिजिटलीकरण, संरक्षण सीखने के प्रति जागस्तता, सम्मान, रोजगार सृजन पाली भाषा सोध, Research होता है। संस्कृत-संबंधित इंडो-यूरोपीय धार्मिक भाषा बौद्ध ग्रंथों और साहित्य और साहित्य में प्रयोग अध्यभून, ५ सेोध - पाली अनेक प्राकृत भाषाओं मिश्रण है। (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व किया गया एकीकृत "पाली " नाम र्थिवाद सिद्धांत की भाषा में संदभित ↳ 2000 से अधिक वर्षों तक भारत, श्रीलंका दक्षिणपूर्व एशिया के देखाद बौद्ध मानते थे।




भारत में अभी तक 22 आधिकारिक भाषाएं है।

4) "शास्तीय भाषा "की की नई श्रेणी २००५ जोडी तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड, मलयालम, गई उड़िया शामिल है। (मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया

बंगाली + 5+6= 11 हो गया. मध्य भारतीय - आर्य भाषाओ ச ② जैन सिद्धांतो के प्रचार-प्रसार के लिए का एक समूह है। तीसरी से किया गया प्रयोग प्राकृत में लिखा गया सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व जैन साहित्य का हिस्सा के बीच (संस्कृत से उमरने) मुल्य वाली भाषा

②पाली भाषा साध, Research, संस्कृत-संबंधित इंडो-यूरोपीय धार्मिक भाषा बौद्ध ग्रंथों और साहित्य और साहित्य में प्रयोग ↳ शो पाली अनेक प्राकृत भाषाओं घ- का मिश्रण है। (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व किया गया एकीकृत "पाली " नाम धिरवाद सिद्धांत की भाषा में संदभित ↳ 2000 से अधिक वर्षों तक भारत, श्रीलंका एशिया के थेरवाद बौद्ध मानते थे।

वृद्ध की भाषा भाषा पश्चिम बंगाला त्रिपुरा बंगाली भाषा असम के बराक धाती की आधिकारिक



चर्चा में क्यों?
हाल ही में संपन्न अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के 93वें संस्करण में मराठी को शास्त्रीय भाषा के रूप में घोषित करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया।

प्रमुख बिंदु
अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन मराठी लेखकों का एक वार्षिक सम्मेलन है जिसकी शुरुआत वर्ष 1878 में की गई थी।
सम्मेलन की अध्यक्षता साहित्यकार, पर्यावरणविद् और कैथोलिक पादरी ‘फ्रांसिस दी ब्रिटो’(Francis D’ Byitto) द्वारा की गई जो इस सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाले पहले पहले ईसाई व्यक्ति थे।
भारत में शास्त्रीय भाषाएँ
वर्तमान में छ: भाषाओं को वर्ष 2004- 2014 तक शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया जो इस प्रकार हैं-

तमिल (2004)
संस्कृत (2005)
कन्नड़ (2008)
तेलुगू (2008)
मलयालम (2013)
ओडिया (2014)
शास्त्रीय भाषा के वर्गीकरण का आधार:
फरवरी 2014 में संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) द्वारा किसी भाषा को 'शास्त्रीय' घोषित करने के लिये निम्नलिखित दिशा निर्देश जारी किये-

इसके प्रारंभिक ग्रंथों का इतिहास 1500-2000 वर्ष से अधिक पुराना हो
प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक हिस्सा हो जिसे बोलने वाले लोगों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता हो।
साहित्यिक परंपरा में मौलिकता हो।
शास्त्रीय भाषा और साहित्य, आधुनिक भाषा और साहित्य से भिन्न हैं इसलिये इसके बाद के रूपों के बीच असमानता भी हो सकती है।
शास्त्रीय भाषाओं हेतु हालिया प्रयास
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार, किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में अधिसूचित करने से प्राप्त होने वाले लाभ इस प्रकार हैं-
भारतीय शास्त्रीय भाषाओं में प्रख्यात विद्वानों के लिये दो प्रमुख वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों का वितरण।
शास्त्रीय भाषाओं में अध्ययन के लिये उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अनुरोध करता है कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शास्त्रीय भाषाओं के लिये पेशेवर अध्यक्षों के कुछ पदों की घोषणा करें।
वर्ष 2019 में संस्कृति मंत्रालय ने उन संस्थानों को सूचीबद्ध किया था जो शास्त्रीय भाषाओं के लिये समर्पित हैं।
संस्कृत के लिये: राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली; महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन; राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति; और श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली।
तेलुगु और कन्नड़ के लिये: मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 2011 में स्थापित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (CIIL) में संबंधित भाषाओं में अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र।
तमिल के लिये: सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ क्लासिकल तमिल (CICT), चेन्नई।
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) इन भाषाओं को बढ़ावा देने के लिये अनुसंधान परियोजनाएँ भी संचालित करता है।
UGC ने वर्ष 2016-17 के दौरान ₹56.74 लाख और वर्ष 2017-18 के दौरान ₹95.67 लाख का फंड जारी किया था।
शास्त्रीय भाषाओं को जानने और अपनाने से विश्व स्तर पर भाषा को पहचान ओर सम्मान मिलेगा।
वैश्विक स्तर पर संस्कृति का प्रसार होगा जिससे शास्त्रीय भाषाओं के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
शास्त्रीय भाषाओं की जानकारी से लोग अपनी संस्कृति को और बेहतर तरीके से समझ सकेंगे तथा प्राचीन संस्कृति और साहित्य से और बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, द ह

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