Published On Sep 20, 2022
दशानन के दस चौंकाने वाले रहस्य | रावण के रहस्य | ravan ke rahasya | ramayan ke rahasya | ravan lanka
दोस्तों रावण भगवान शिव का सबसे बढ़ा भक्त था । वेद और शास्त्रों का ज्ञाता रावण महापंडित था । वह इतना शक्तिशाली था की ग्रहों की गति को कंट्रोल कर सकता था और काल तो उसके कमरे में बेड से बंधा हुआ था । क्योंकि महाकाल के भक्त का काल भला क्या ही उखाड़ सकता है । वह स्वर्ग तक सिढ़ियां भी बनाना चाहता था । यदि रावण पर अधर्म अधिक बलवान ना होता तो वह देवलोक भी स्वामी बन जाता । और भी रावण से जुड़े बहुत से रहस्य हैं जिन्हें टीवी पर कभी नहीं दिखाया जाता है । हां रावण में बहुत सारी कमियां थी तथी प्रभु श्रीराम के हाथ से वह मारा गया , लेकिन उसमें बहुत सारी खूबियां भी थीं । दुनिया में इस नाम का दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है। राम तो बहुत मिल जाएंगे, लेकिन रावण नहीं। दुनिया में रावण के जैसा ना तो कोई हुआ है और ना कोई होगा । रावण जैसा तो केवल रावण ही है । दोस्तों , आज के इस विडियो में , में आपको रावण से जुड़े ऐसे रहस्यों को बताउंगा जिन्हें जानने के बाद आप चौंकने वाले हैं । इसलिये चैनल पर न्यू आये हो तो प्लीज चैनल को सब्सक्राइब करके घंटी वाला बेल आइकन जरुर दबा दें , तभी आपको न्यू विडियो का नॉटिफिकेशन मिल पायेगा । तो चलिये दोस्तों बिना टाइम को बेस्ट किये विडियो को स्टार्ट करते हैं ।
1. दोस्तों रावण हर समय खोज और अविष्कार को ही महत्व देता था। वह नए नए अस्त्र, शस्त्र और यंत्र बनवाता रहता था। कहते हैं कि वह स्वर्ग तक सीढ़ियां भी बनवाना चाहता था। वह स्वर्ण में भी सुगंध उत्पन्न करना चाहता था , मदिरा से दुर्गंध खत्म करना चाहता था , समुद्र के खारे पानी को मीठे पानी में बदलना चाहता था और वो चाहता था की सभी लोग गोरे हों , कोई भी काला ना हो तथा खून का रंग भी सफेद हो । साथ ही वह एक ऐसा विमान या यंत्र बनाना चाहता था जो समय से भी तेज चले यानि की टाइम ट्रेवल मशीन । रावण की वेधशाला में तरह तरह के आविष्कार होते थे। रावण की सेना में अस्त्र-शस्त्र या यंत्र बनाने वाले एक से एक वैज्ञानिक मौजूद थे। जैसे शुक्राचार्य, भार्गव, शंबूक , कुंभकर्ण और वज्रज्वला। उन्होंने मिलकर ही दारू पंच अस्त्र, सूर्यहास खड्ग, मकर मुख, आशी विष मुख, वाराह मुख जैसे विध्वंसकारी अस्त्रों का निर्माण किया था। खुद रावण ने उसकी वेधशाला में दिव्य-रथ का निर्माण किया था। कुंभकर्ण अपनी पत्नी वज्रज्वाला के साथ अपनी प्रयोगशाला में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र और यंत्र बनाने में ही लगे रहते थे जिसके चलते उनको खाने-पीने की भी सुध ही नहीं रहती थी। कुंभकर्ण की यंत्र मानव कला को ‘ग्रेट इंडियन' पुस्तक में ‘विजार्ड आर्ट' का दर्जा दिया गया है। इस कला में रावण की पत्नी धान्यमालिनी भी पारंगत थी। और माना जाता है कि रावण की पहली पत्नी मंदोदरी ने ही शतरंज का अविष्कार किया था। रावण के पास वायुसेना भी थी। कहते हैं कि उसानगोड़ा, गुरुलोपोथा, तोतूपोलाकंदा और वारियापोला नामक उसके हवाई अड्डे थे और पुष्पक नामक उसके पास एक विमान था। रामायण के अनुसार रावण के पास वायुयानों के साथ ही कई समुद्र जलपोत भी थे। रामायण में केवट प्रसंग से यह सिद्ध होता है कि साधारण मनुष्य के पास नाव थी तो रावण के पास जलपोत होना स्वाभाविक है। लंका में यांत्रिक सेतु, यांत्रिक कपाट और ऐसे चबूतरे भी थे, जो बटन दबाने से ऊपर-नीचे होते थे। ये चबूतरे संभवत: लिफ्ट थे। रावण के पास पुष्पक विमान था जिसे उसने उसके भाई कुबेर से हड़प लिया था । यह विमान मन की गति से चलता था तथा यह चंद मिनटों में ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाता था । इसे इच्छा के अनुसार छोटा या बढ़ा किया जा सकता था तथा इसमें कयी सारे लोग एक साथ एक स्थान से दूसरे स्थान में जा सकते थे ।
2. दोस्तों, रावण को महिलाओं में बहुत रस था। रावण की पहली पत्नी का नाम मंदोदरी था जोकि राक्षसराज मयासुर की पुत्री थीं। दूसरी का नाम धन्यमालिनी था और तीसरी का नाम अज्ञात है। ऐसा भी कहा जाता है कि रावण ने उसकी तीसरी पत्नि की हत्या कर दी थी। रावण ने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया पर भी वासनायुक्त नजर रखी थी। इसके अलावा रावण ने विष्णु भक्त तपस्विनी वेदवती का शील भंग करने का प्रयास किया था जिसके चलते उन्होंने अपनी देह त्याग दी और रावण को शाप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी। मान्यता अनुसार उसी युवती ने सीता के रूप में जन्म लिया था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे वहां रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी।
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