Published On May 28, 2024
सत्संग - बाबा सावन सिंह जी महाराज || ऊंचा भाग्य किसका...|| भाग - 1||
विचार ------------------------
(परमात्मा ने सृष्टि की रचना कर सृष्टि में कर्म को प्रधान बनाया है - जिसने जैसा किया है उसको उसी रूप में भुगतना पड़ता है। इसी कारण जीव करोड़ों - अरबों वर्षों से जन्म-मरण के चक्र से निकल नहीं पाता। कुछ धर्मों ने कर्म के कठोर बन्धन को देख इससे घबराकर कर्म और उसके फल को नकार दिया है। इस तरह मनुष्य को धर्म से पाप की ओर ढकेल दिया है।
स्वामी दित्यानन्द जी महाराज ने वेद के मंत्रों के आधार पर इन कर्मों से छुटकारे का सुन्दर वर्णन अपने निज अनुभवों के आधार पर अपने प्रवचनों में किया है। वेद- मन्त्रों में सन्त को प्रभु का अवतार बताया है क्योंकि देहधारी सन्त को नारायण कहा है। वास्तव में साधक को प्रभु - घर का मार्ग दिखाने के लिए परमात्मा स्वयं नर के अन्दर बैठकर काम करता है और ऐसा मनुष्य नर से नारायण बन जाता है और नारायण बन जिज्ञासुओं को कर्म - बन्धनों से मुक्त करता है।
ऐसे परम सन्त गुरुदेव स्वामी दिव्यानन्द जी महाराज की शिक्षाओं के प्रसार-प्रचार के लिए इस चैनल का निर्माण किया गया है। स्वामी जी के प्यारों को बहुत बहुत धन्यवाद है और सबको "जय स्वामी जी की"!)
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