Published On Apr 10, 2023
डंडारी नृत्य-बस्तर के धुरवा जनजाति के द्वारा किये जाने वाला नृत्य हैयह नृत्य बहुत हद तक गुजरात के मशहूर डांडिया नृत्य से मेल खाता है।डंडारी नृत्य में बांस की खपचियों से एक दुसरे से टकराकर ढोलक एवं तिरली के साथ जुगलबंदी कर नृत्य किया जाता है। तिरली बाँसुरी को कहा जाता है। यह नृत्य डांडिया नृत्य से अलग है, डांडिया में जहां गोल गोल साबूत छोटी छोटी लकड़ियों से नृत्य किया जाता है। इस नृत्य में नर्तको के साथ वादक दल होता है। वादक दल मे 7 से 8 व्यक्ति सिर्फ़ ढोल ही बजाते है, और केवल एक व्यक्ति तिरली वादन करता है।
बांसूरी की धुन पर नर्तक बांस की खपचियों को टकराकर नृत्य करते है तिरली के स्वरो को साधने के लिये बहुत अनुभव की जरूरत होती है। तिरली वादक पीढियो से ही तिरली बजाने की कला एक दुसरे को सिखाते आ रहे है।
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