Mulniwas, Bhukanun Uttarakhand Poem By Pradeep Singh Rawat Khuded
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 Published On Jan 8, 2024

Mulniwas, Bhukanun Uttarakhand Poem By Pradeep Singh Rawat Khuded

सेठ बिक गए, खेत बिक गए, बिक गए पहाड़,
शहर चले गये सारे पहाड़ी बन्द करके किवाड़।

पार्टियों के डंड़ा झंडा उठाकर बुलन्द करे नारे,
पचास गज के लिए बंजर छोड़ आये खेत सारे।

धीरे धीरे पहाड़ों में बाहरी करने लगे हैं कब्जा
न भाषा बोली संस्कृति बचाने का बचा जज्बा।

अपनी गैरसैण गैर हुई हैं देहरादून की हुई सैर,
भू कानून चकबंदी जल जंगल के लिए कौन ले बैर।

बचेगा तभी पहाड़ यहाँ, जब जमीन, ज़मीर बचेगा,
वरना पहाड़ों में तो भविष्य में बस बाहरी बसेगा।

घर घर से अब भू-कानून की मांग उठने लगी थी,
बड़ी देर से ही सही पहाड़ियों की नींद टूटने लगी थी।

कब लेगा कमान यहाँ पहाड़ का युवा अपने हाथ में,
लोहा भी पिघला देंगे ये अपनी क्रांति के ताप में।

प्रदीप रावत ❝खुदेड़❞


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