कविता छत्तीसगढ़ अंक आठ कवि विजय गुप्त और आलोक वर्मा
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 Published On Premiered Sep 9, 2024

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अच्छी कविता से अच्छा कुछ नहीं

कविता छत्तीसगढ़ अंक आठ कवि विजय गुप्त और आलोक वर्मा
आमंत्रित कवियों की कविता पर संक्षिप्त टिप्पणी: अरुण कांत शुक्ला (रायपुर संचालन : अजय साहू (मास्को); संयोjan पीयूष कुमार और अंजन कुमार
परिकल्पना
मिथिलेश श्रीवास्तव
आभार
प्रशांत जैन (मुंबई)

रविवार, 8 सितम्बर, 2024
5 बजे शाम
संयोजक
लिखावट दिल्ली (नई दिल्ली )
संपर्क : [email protected]

परिचय
मिथिलेश श्रीवास्तव का जन्म बिहार के गोपालगंज ज़िले के गंडक नदी के किनारे बसे हरपुरटेगराही गांव में 1958 में हुआ था | पटना विश्वविद्यालय के मशहूर साइंस कॉलेज से भौतिकशास्त्र में आनर्स के साथ स्नातक की पढाई करके दिल्ली आ गए | भारत सरकार के केंद्रीय सचिवालय सेवा में कार्यरत रहे और संयुक्त सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए | पिछले पैंतीस वर्षों से एक कवि का जीवन जिया है | इन दिनों दिल्ली में रहते हैं | इनकी अनेक किताबें हैं चार कविता संग्रह हैं - किसी उम्मीद की तरह (1999 , आधार प्रकाशन ), पुतले पर गुस्सा (1914 , शिल्पायन प्रकाशन ), औरत ही रोती है पहले ( परिकल्पना दिल्ली, 2022 ), चयनित कविताएँ (2023, न्यू वर्ल्ड प्रकाशन )| 'कवि का कहा ' किताब है जिसे 2020 में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने प्रकाशित किया था जिसमें रघुवीर सहाय, केदारनाथ सिंह और मंगलेश डबराल से लंबी बातचीत है | इस किताब का तीसरा संस्करण छप चुका है | दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री मनोज कुमार सिंह ने मिथिलेश श्रीवास्तव पर एक किताब संपादित की है " भारतीय जनतंत्र और मिथिलेश श्रीवास्तव की कविताएं | " नेपाल, सूरीनाम सरीखे देशों की यात्रा और कविता पाठ | फोसवाल अवार्ड (सार्क देशों की साहित्यिक संस्था द्वारा संचालित ) और अन्य पुरस्कार | कई राज्यों की अकादमियों में कविता पाठ |



आलोक वर्मा
जन्म: 12 जून 1958
प्रकाशित पुस्तक :
'धीरे-धीरे सुनो' (कविता संग्रह) मध्यप्रदेश साहित्य परिषद द्वारा 1995 में श्री रामविलास शर्मा सम्मान से पुरस्कृत। महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित ।
सम्पर्क : 71, विवेकानंद नगर, रायपुर-492001 (छत्तीसगढ़)

विजय गुप्त
पिता- स्व. श्री गोविन्द लाल गुप्ता
माता-श्रीमती सावित्री देवी
जन्म- 22.05.1953
शिक्षा- एम. ए. हिन्दी साहित्य, बी. म्यूज.(गायन)
कुछ महीने होली क्रॉस स्कूल एवं शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर और नागपुर विश्वविद्यालय नागपुर में अध्यापन किया । जनवादी साहित्य गृह भोपाल में महाप्रबंधक के पद पर रहा । आकाशवाणी के लिए स्क्रिप्ट लिखे, कंसंर्टों में भाग लिया । लंबे समय तक स्वयं के छापेखाने का संचालन किया । अब अवकाश प्राप्त ।
प्रकाशन-
काव्य संग्रह : शब्दों की ज़मीन
अनुवाद: जॉन गाल्सवर्दी के नाटक ‘द फ़र्स्ट एण्ड द लास्ट’ का हिन्दी अनुवाद ‘ पहला और आख़िरी ‘ नाम से ।
पाँच बाल नाटक रायगढ़ इप्टा द्वारा प्रकाशित ‘रंगकर्म’ वार्षिकी में ।
‘कथा शिखर: हरिशंकर परसाई (संपादन), कौटिल्य बुक्स, नई दिल्ली ।
‘उर्दू के अज़ीम शायर ‘, गार्गी प्रकाशन, दिल्ली ।
बिलासपुर से प्रकाशित दैनिक देशबन्धु में कॉलम ‘बात पते की’ लिखा । कुछ समय तक बिलासपुर से प्रकाशित सांध्य दैनिक ईवनिंग टाइम्स में कॉलम ‘बात निकलेगी तो’ लिखा । विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, संस्मरण और लेख प्रकाशित । प्रगतिशील लेखक संघ अंबिकापुर की राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रिका ‘साम्य ‘ का पिछले चालीस वर्षों से संपादन । अब तक 27 अंक और विभिन्न विषयों पर 18 पुस्तिकाएं प्रकाशित ।
सम्मान:
1. म. प्र. साहित्य परिषद भोपाल द्वारा ‘साम्य ‘ को सर्वश्रेष्ठ लघु पत्रिका का ‘अनिल कुमार सम्मान ‘।
2. परिमल प्रकाशन इलाहाबाद द्वारा साहित्यिक पत्रकारिता का ‘राजेश्वर सिंह सम्मान ‘।
3. छत्तीसगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ‘सप्तपर्णी सम्मान 2019 ‘।
संपर्क:
विजय गुप्त, संपादक- साम्य, ब्रह्म रोड, अंबिकापुर, ज़िला: सरगुजा, छत्तीसगढ़, पिन 497001
अरुण कान्त शुक्ला

परिचय

जन्म तिथि - 21 फरवरी, 1950

शिक्षा : विज्ञान, विधी तथा पत्रकारिता में स्नातक । प्रारंभिक शिक्षा पूर्व मध्यप्रदेश के बैतूल, गाडरवाड़ा, भोपाल, होशंगाबाद, झाबुआ में तथा उच्च शिक्षा भोपाल, जबलपुर तथा रायपुर में।

नवम्बर 1971 से फरवरी 2010 तक भारतीय जीवन बीमा निगम में सहायक तथा उच्च श्रेणी सहायक के पदों पर कार्य किया । सेवाकाल के दौरान बीमा कर्मचारियों के आन्दोलन में सक्रियता रही।

मध्य बीमा क्षेत्र की मासिक 'आन्दोलन की खबर' में लगभग एक दशक तक 'आदित्य' तथा 'मेघनाद' के नाम से लेख, व्यंग्य, कविता लिखे। सेवानिवृत्ति के पश्चात लगातार लेखन जारी। स्थानीय 'देशबंधु' तथा 'छत्तीसगढ़' में लगातार प्रकाशन । अपना स्वयं का ब्लॉग जिसमें लेख, व्यंग्य, कविता सभी संकलित हैं । पहला कविता संग्रह 'दो-तीन पाँच' है। और दूसरे संग्रह का नाम 'घुप्प शुभ्र घना कोहरा' है।

सर्पकः 31/79, न्यू शान्ति नगर, पो.आ. शंकर नगर, रायपुर (छत्तीसगढ़)।

मोबा.: 94252-08198

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