Published On Sep 1, 2024
एक एव पतिष्येˢह महतो गुरूपातकात्
सर्वे गच्छन्तु भवततां कृपया परमं पदम्।
समादारणीय बन्दनिय पूज्यनिय माननिय आचार्यौ के चरण मन्जरियौ मे दण्डवात करते हुऐ।ये दाश ।श्रीयतीन्द्रचक्रचूडामणिश्रीवैष्णकामूकुटमणिश्रीरामानुजाचार्यजी का वाचन और उद्देश्य को आगे ले जाना चाहाते है।आचार्यौ वर्ग से मंगलासन आशिर्वाद भक्त रसिकों से आशिर भाव प्रेम मेरै बन्धुओं और मेरे छोटे छोटे बच्चों के लिए कुच्छ दे पाउ समाज मे संस्कृति क संस्कार छोड़कर जोडकर मै इस धरासे जाउ यहि मेरा उद्देश्य है। जयश्री मन्नारायण
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