Published On Sep 21, 2024
संत लक्ष्मी सखी विश्व के महान कवियों की श्रेणी में है जिन्होंने मानव मूल्यों, आदर्शों और भक्ति भावनाओं को अपनी लेखनी से अमर कर दिया। एक महान कवि किसी व्यक्तिगत, जातिगत एवं सांप्रदायिक भावनाओं से ऊपर होता है और वह ऐसा काव्य प्रस्तुत करता है जो सार्वकालिक, सार्वदेसिक और सार्वभौमिक होता है ।संत लक्ष्मी सखी की रचनाओं को पढ़ने से एक महान संत को जितना आनंद और आत्म बोध होता है उतना एक साधारण गृहस्थ को भी। जहां तक भाषा ,शब्द संयोजन, उपमा एवं अन्य काव्यात्मक शैली की बात है तो मुझे पूर्ण विश्वास है कि संत लक्ष्मी सखी जी महाराज किसी भी महान कवि से कम नहीं है।जरूरत है तो सिर्फ भोजपुरी भाषा से प्यार करने की और ऐसे विलुप्तता के कगार पर जाने वाले कवियों विशेषकर संत कवियों की रचनाओं को प्रकाशित करने और उनका सांगोपांग अध्ययन करने की ।
बिहार प्रांत के अंतर्गत सारण प्रमंडल की पवित्र धरती कई महान संतों, महात्माओं और मनीषियों की धरती रही है, जिन्होंने अपनी आध्यात्मिक और दार्शनिक विचारों को कला के धागे में बुनकर व्यक्त किया है। उन्हीं संत कवियों की पंक्ति में लक्ष्मी सखी जी का नाम बड़े आदर एवम भक्ति के साथ लिया जाता है। वे सारण ही नहीं बल्कि पूरे देश के एक महान संत और धार्मिक कवि थे । भगवान राम को वे अपना इष्ट देव मानते थे और उन्होंने प्रभु राम को अपने पति के रूप में पूजा अर्चना की है। इनका पवित्र समाधि स्थल गोपालगंज जिला के अंतर्गत बैकुंठपुर थाना के पास टेरूवां मठ पर है जो गंडक नदी के पावन तट पर सत्तर घाट के नजदीक प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण गांव से दूर एक सुनसान पंरतु रमणिक स्थान पर स्थित है जहां सालो भर कुछ न कुछ धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। इस पवित्र मठ पर दूर-दूर से लोग अपनी मन्नत लेकर आते हैं, बाबा के समाधि पर मत्था टेकते हैं और जो भी भक्तजन सच्चे मन से लक्ष्मी सखी बाबा की आराधना करते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है । इस मठ के वर्तमान मठाधीश श्री जनार्दन सखी जी महाराज (श्री सूरदास जी) जन्म से ही दिव्यांग है ,परंतु ईश्वर की कृपा से और लक्ष्मी सखी बाबा के आशीर्वाद से उन्हें बाबा द्वारा रचित अधिकांश पद कंठाग्र हैं। वे सरलता, भक्ति और साधना के प्रतिरूप है। वे बड़े तन्मयता के साथ भक्ति भावना से ओतप्रोत होकर हारमोनियम बजाते हुए भजन को गाते हैं जिसे आप यूट्यूब पर भी देख सकते हैं। मैं उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हूं। उन्हीं की कृपा से और उनके मार्गदर्शन में प्रस्तुत ग्रंथ है अमर कहानी का प्रकाशन हो रहा है। कुछ दिन पहले उनके आदेश से और उनके सहयोग से मैंने संत कवि लक्ष्मी सखी जी महाराज द्वारा विरचित प्रथम ग्रंथ "अमर सीढी" का संपादन किया था जिसकी प्रतियाँ मठिया से प्राप्त की जा सकती है । सन्त जनार्दन सखी जी ने मुझे बतलाया की यह एक जागृत मठ है और साल में यहां कई कार्यक्रम होते रहते हैं जिसमें सबसे बड़ा कार्यक्रम पूष पूर्णिमा के दिन होता है । इस अवसर पर एक बहुत बड़ा मेला लगता है। दूर-दूर से लोग, संत महात्मा आते हैं। भजन कीर्तन रात भर होता है, भंडारा चलता है और इस प्रकार पूरा वातावरण भक्तिमय और संगीतमय हो जाता है।
संत कवि लक्ष्मी सखी जी की जय
अत्यंत प्रेम और श्रद्धा के साथ
प्रोफेसर अमरनाथ प्रसाद
अंग्रेजी विभागाध्यक्ष ,
जय प्रकाश विश्वविद्यालय ,
छपरा