Published On Sep 28, 2024
माना जाता है कि जब श्रीकृष्ण ने मथुरा को छोड़ दिया था, तब उन्होंने समुद्र के किनारे द्वारका नगरी की स्थापना की थी। यह नगरी अत्यंत समृद्ध और सुंदर थी। इसे 'स्वर्ण नगरी' कहा जाता था, क्योंकि इसके महल, घर और मंदिर सोने से अलंकृत थे। श्रीकृष्ण ने इसे अपने यदुवंशियों के लिए सुरक्षित स्थान के रूप में बसाया था।
द्वारका का डूबना
महाभारत युद्ध के बाद, जब यदुवंशियों के बीच गृहयुद्ध हुआ, तो द्वारका नगरी का विनाश होने लगा। श्रीकृष्ण के पृथ्वी से विदा लेने के बाद, द्वारका नगरी को समुद्र ने अपने भीतर समा लिया। यह कहा जाता है कि यह नगरी समुद्र में डूब गई और यह घटना श्रीकृष्ण के निर्वाण के कुछ ही समय बाद हुई थी।
पुरातात्विक प्रमाण
द्वारका नगरी का उल्लेख केवल पुराणों और महाभारत में ही नहीं, बल्कि आधुनिक समय में किए गए पुरातात्विक खोजों में भी मिलता है। 1980 के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई खोजों में गुजरात के समुद्र के नीचे प्राचीन द्वारका के अवशेष मिले हैं। ये अवशेष प्रमाणित करते हैं कि द्वारका वाकई में एक समय पर अस्तित्व में थी और संभवतः वह जलमग्न हो गई थी।
द्वारका नगरी का महत्व
द्वारका नगरी आज भी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इसे 'चार धाम' यात्रा का एक हिस्सा माना जाता है। यह नगरी भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है और भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और उनके जीवन की कहानियों का एक अटूट हिस्सा है।