Published On Nov 24, 2022
Sem Mukhem Sem Nagraja उत्तराखंड का पांचवा धाम - सेम नागराजा मंदिर के दर्शन, सुंदर अद्भुत दृश्य, जागर आदि
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About Sem Mukhem Sem Nagraja
सेममुखेम नागराज उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल जिला में स्थित एक प्रसिद्ध नागतीर्थ है। श्रद्धालुओं में यह सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है।
मन्दिर का सुन्दर द्वार १४ फुट चौड़ा तथा २७ फुट ऊँचा है। इसमें नागराज फन फैलाये हैं और भगवान कृष्ण नागराज के फन के ऊपर वंशी की धुन में लीन हैं। मन्दिर में प्रवेश के बाद नागराजा के दर्शन होते हैं। मन्दिर के गर्भगृह में नागराजा की स्वयं भू-शिला है। ये शिला द्वापर युग की बतायी जाती है। मन्दिर के दाँयी तरफ गंगू रमोला के परिवार की मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं। सेम नागराजा की पूजा करने से पहले गंगू रमोला की पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण कालिया नाग का उधार करने आये थे। इस स्थान पर उस समय गंगु रमोला का अधिपत्य था श्री कृष्ण ने उनसे यंहा पर कुछ भू भाग मांगना चाहा लेकिन गंगु रमोला ने यह कह के मना कर दिया कि वह किसी चलते फिरते राही को जमीन नही देते। फिर श्री कृष्ण ने अपनी माया दिखाई ततत्पस्चात गंगु रमोला ने इस सर्त पे कुछ भू भाग श्री कृष्ण को दे दिया कि वो एक हिमा नाम की राक्षस का वध करेंगे जिस से कि वो काफी परेसान थे।
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सेममुखेम का मार्ग हरियाली और प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। मुखेम के आगे रास्ते में प्राकृतिक भव्यता और पहाड़ की चोटियाँ मन को रोमाँचित करती हैं। रमोली पट्टी अत्यन्त सुन्दर है। रास्ते में श्रीफल के आकार की खूबसूरत चट्टान है। सेममुखेम में घने जंगल के बीच मन्दिर के रास्ते में बांज, बुरांस, खर्सू, केदारपत्ती के वृक्ष हैं जिनसे खुशबू निकलती रहती है।
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