Kabir Bhajan
Dr.Smruti Vaghela Dr.Smruti Vaghela
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 Published On Jun 6, 2022

Kehi samajhavo sab jag andha...

केहि समुझावौ सब जग अंधा
इक दु होय उन्हें समुझावौं
सबहि भुलाने पेट के धंधा।
पानी घोड़ पवन असवरवा
ढरकि परै जस ओसक बुंदा
गहिरी नदी अगम बहै धरवा
खेवनहार के पड़िगा फंदा।
घर की वस्तु नजर नहि आवत
दियना बारि के ढूॅंढ़त अंधा
लागी आगि सबै बन जरिगा
बिन गुरुज्ञान भटकिगा बंदा।
कहै कबीर सुनो भाई साधो
जाय लंगोटी झारि के बंदा

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