Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Amayra Bhakti Amayra Bhakti
5.2K subscribers
24 views
0

 Published On Oct 9, 2024

Amayra Bhakti Presents

Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Mahagouri Mantra या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता - नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ गौरी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। हे माँ, मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करो।


माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं। भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते। वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।


श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः | महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ||


इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है- 'अष्टवर्षा भवेद् गौरी।' इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं।


महागौरी की चार भुजाएँ हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है।


माँ महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं। जिससे देवी के मन का आहत होता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं। इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुँचते हैं वहां पहुंचे तो वहां पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं।


एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं “सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..”। महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है और माँ उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।


माँ महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजन-आराधना भक्तों के लिए सर्वविध कल्याणकारी है। हमें सदैव इनका ध्यान करना चाहिए। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
महागौरी भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती हैं। इनकी उपासना से आर्तजनों के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं

show more

Share/Embed